इसलिए अटके नए मेडिकल कॉलेज
सरकार प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेजों को खुलवाने के लिए प्रयास कर रही है। इसमें कई अड़चनें आ रही हैं। सबसे बड़ी अड़चन स्टाफ की है। सूत्रों की मानें तो इन मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त स्टाफ ही नहीं है। इसलिए एमसीआई भी प्रस्तावित नई कॉलेजों को हरी झंडी नहीं दे पा रही है। इन कमियों को पूरा करने के लिए सरकार दो साल से जूझ रही है।
सरकार प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेजों को खुलवाने के लिए प्रयास कर रही है। इसमें कई अड़चनें आ रही हैं। सबसे बड़ी अड़चन स्टाफ की है। सूत्रों की मानें तो इन मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त स्टाफ ही नहीं है। इसलिए एमसीआई भी प्रस्तावित नई कॉलेजों को हरी झंडी नहीं दे पा रही है। इन कमियों को पूरा करने के लिए सरकार दो साल से जूझ रही है।
कमियां पूरी हो तो सरकार ले सकती है अंडरटेकिंग फिलहाल जो कमियां सामने आई हैं, उनमें सबसे प्रमुख स्टाफ की कमी है। जो पिछले लंबे समय से सरकार पूरा नहीं कर पाई है। अब मेडिकल कॉलेज के पास एक महीने का समय है। इस दरम्यान यदि ये कमियां पूरी हो जाती हैं तो संभव है कि एमसीआई इन १०० सीटों पर भी प्रवेश की अनुमति दे दे। अगर ये कमियां पूरी हो जाती हैं तो सरकार इसे अंडरटेकिंग में लेकर एमसीआई से सीटें बढ़ाने की मांग कर सकती है।
एक महीने में दूर कर लेंगे कमियां
हमारे पास एमसीआई से लेटर आया था। इसमें स्टाफ की कमी सहित कई अन्य कमियां भी बताई थी। हम एक महीने में ये कमियां दूर कर लेंगे।
हमारे पास एमसीआई से लेटर आया था। इसमें स्टाफ की कमी सहित कई अन्य कमियां भी बताई थी। हम एक महीने में ये कमियां दूर कर लेंगे।
डॉ.अजय मालवीय, प्राचार्य व नियंत्रक, डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज तीन बार बढ़ी सीटें
– कॉलेज स्थापना से 1989 तक यूजी की 70 सीटें थी।
– वर्ष 1990 में 100 हो गईं।
– 2011 में 50 सीटें बढ़कर 150 हुईं।
– 2013 में 250 हुईं।
– कॉलेज स्थापना से 1989 तक यूजी की 70 सीटें थी।
– वर्ष 1990 में 100 हो गईं।
– 2011 में 50 सीटें बढ़कर 150 हुईं।
– 2013 में 250 हुईं।