कोरोना के बाद भारतीय रेलवे में न्यू मोडिफाइड कोच (एनएमजी) की मांग बढ़ी है। रेलवे में माल लदान के काम आने वाले एनएमजी कोच प्रदेश में पहली बार जोधपुर रेलवे वर्कशॉप में तैयार हो रहे है। यहां तैयार होने वाले कोच देशभर में दौड़ेंगे मार्च 2030 तक जोधपुर वर्कशॉप में 40 कोच तैयार करने का लक्ष्य है। जोधपुर वर्कशॉप में कोच तैयार करने का काम शुरू हो गया है। अजमेर रेलवे वर्कशॉप को भी 60 कोच तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। एक कोच में करीब 10 टन माल या छह से आठ चार पहिया और करीब 100 टू व्हीलर ट्रांसपोर्ट किए जा सकते है। पूरे रेक में सैंकड़ों दोपहिया-चार पहिया वाहनों का ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। एक रेक में 24 कोच लगाए जाते हैं
— 20 साल पुराने कोच होंगे तब्दील रेलवे यात्री गाडिय़ों के 20 साल पुराने इंडियन कोच फैक्ट्री (आइसीएफ ) कोच को एनएमजी कोच में तब्दील कर रहा है। कोरोना काल में इन कोच की मांग अचानक बढ़ गई है, इसलिए जोधपुर व अजमेर रेलवे वर्कशॉप को यह कोच तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। प्रदेश में जोधपुर और अजमेर रेल कारखाने में तैयार होने वाले एनएमजी कोच की डिजाइन डिजाइन एंड स्टेण्डर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) लखनऊ से अप्रूव हुए है।
——- 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार एनएमजी कोच की रफ्तार मालगाड़ी और ट्रकों से तेज है। मालगाड़ी अधिकतम 75 किमी की रफ्तार से दौड़ती है जबकि एनएमजी 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाए जा रहे है। ट्रकों की औसतन रफ्तार 80 किलोमीटर प्रति घंटा तक ही है । चारों तरफ से कवर होने के कारण इनमें लदान आसान और सुरक्षित है
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