Jodhpur News: अविनाश केवलिया। शुरुआती दिनों में स्टार्टअप के बंद होने का खतरा ज्यादा था, लेकिन अब पिछले दो साल में स्टार्टअप की मोर्टेलिटी दर यानी बंद होने की गति काफी कम हुई है। यह भविष्य के लिए बेहतर संकेत है। सरकार भी इनकी मदद कर रही है।
अब राजस्थान के टॉप 40 स्टार्टअप ने अलग-अलग इंवेस्टर्स से 900 करोड़ की राशि जुटाई है। सरकार ने स्टार्टअप के लिए इक्युबेशन सेंटर की परिपाटी 2016 में शुरू की। तभी से इनके रजिस्ट्रेशन भी शुरू हुए। शुरुआती 3-4 साल में इनकी गति काफी धीमी थी। स्टार्टअप के प्रयास भी जयपुर तक ही सीमित थे, लेकिन कोविड और उसके बाद यह तेजी से बढ़ा है। प्रदेश में जो 2100 स्टार्टअप बंद हुए है, उनमें शुरुआती सालों का आंकड़ा ज्यादा है। पिछले दो साल में यह अनुपात काफी कम हुआ है।
एडटेक – कोविड में सबसे ज्यादा एजुकेशन को तकनीक से जोड़कर स्टार्टअप आए और अधिकांश सफल हुए। डीटूसी – राजस्थान के कई ट्रेडिशनल ब्रांड जो कि डीटूसी पर आए हैं और अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
एग्रो टेक – कृषि आधारित स्टार्टअप जो तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, काफी सफल हो रहे हैं। गेमिंग इंडस्ट्री – ऑनलाइन गेमिंग ऐप के साथ ही स्कूल एजुकेशन गेम्स के सेक्टर काफी सफल हो रहे हैं।
एआई पर सबसे ज्यादा काम – पिछले एक साल में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर युवा सबसे ज्यादा काम कर रहे हैं। हालांकि इनका सफलता अनुपात अभी सामने नहीं आया है। अब पंजीकृत होने वाले स्टार्टअप में से आधे से ज्यादा इसी बैकग्राउंड के हैं।
सर्वाइवल दर 80 से 85 प्रतिशत
राजस्थान में आज पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या 5000 के करीब है। इनमें से आधे से ज्यादा चल रहे हैं। खास बात यह है कि अब सर्वाइवल दर 80 से 85 प्रतिशत हो चुकी है।
85 प्रतिशत स्टार्टअप अगले पायदान पर पहुंचे। आई स्टार्ट इंक्यूबेशन सेंटर ने हाल ही में उनके पिछले एक साल में यहां पंजीकृत स्टार्टअप के साथ एक सर्वे किया है। इनमें 85% स्टार्टअप ने माना है कि वह जिस स्थान से शुरू हुए थे