राजस्थान में सितंबर 2013 से ही राशन की व्यवस्था पूरी तरीके से ऑनलाइन कर दी गई। पूरे प्रदेश में गेहूं, चीनी और केरोसिन का वितरण पॉइंट ऑफ सेल (पोस) मशीनों के जरिए किया रहा है। इसके लिए उपभोक्ताओं के बायोमेट्रिक मार्क्स की जरूरत होती है।
राजस्थान के अलावा दो-तीन अन्य राज्यों में राशन व्यवस्था ऑनलाइन है। राशन व्यवस्था के ऑनलाइन होने से गेहूं और केरोसीन की कालाबाजारी पर लगाम लगी है। अब केंद्र सरकार संपूर्ण सार्वजनिक वितरण प्रणाली को केंद्रीकृत करने जा रही है।
राशन की दुकानों को ऑनलाइन करने के लिए 41 करोड़ का बजट इसके लिए सरकार ने बजट में दस करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। इससे राशन के डी-डुप्लीकेशन पर भी रोक लगेगी। राशन की दुकानों को ऑनलाइन करने के लिए 41 करोड़ रुपए का बजट दिया गया है।
राशन कार्ड की पॉर्टेबिलिटी भी संभव
पीडीएस को एकीकृत करने के बाद सरकार राशन कार्ड की पॉर्टेबिलिटी भी कर सकेगी। इससे एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाले व्यक्तियों को राशन कार्ड संख्या नहीं बदलनी पड़ेगी। इससे बार-बार राशन कार्ड बनाने और देशभर में डुप्लीकेट राशन कार्ड पर लगाम लगेगी।
चीनी केवल अंत्योदय परिवारों को
केंद्र सरकार ने अब केवल अंत्योदय परिवारों को ही राशन की चीनी देने का फैसला किया है। सरकार ने इसके लिए 200 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया है। इससे पहले चीनी गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यापन करने वाले परिवारों को भी दी जाती थी। मार्च 2017 में अंतिम बार बीपीएल परिवारों को चीनी दी गई। अंत्योदय परिवारों को प्रति परिवार आधा किलो शक्कर मिलेगी।