नए सिस्टम में ई-इनवॉयस जनरेट करने की जिम्मेदारी कारोबारी अथवा करदाता की होगी। इसे जीएसटी के इनवॉयस रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर रिपोर्ट करना होगा। यह पोर्टल एक यूनिक इनवॉयस रेफ रेंस नंबर जनरेट करेगा और डिजिटल साइन वाले इनवॉयस के साथ क्यूआर कोड भी उपलब्ध कराएगा। सिस्टम के जरिए क्यूआर कोड इनवॉयस वापस जनरेट करने वाले करदाता के पास आ जाएगा। जिसमें ई-इनवॉयस और रिटर्न की समस्त जानकारी होगी।
जिन कारोबारियों के पास एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर नहीं होगा, वे गुड्स एण्ड सर्विस टेक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) से सम्बद्ध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकेंगे। जीएसटीएन ने एकाउंटिंग और बिलिंग से संबंधित आठ सॉफ्टवेयर एम्पैनल (सूचीबद्ध) किए हैं।
– 500 करोड़ रुपए और उससे अधिक का सालाना कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए 1 जनवरी 2020 से ई-इनवॉयसिंग की व्यवस्था लागू करने जा रही है। हालांकि यह स्वेच्छा और प्रायोगिक आधार पर होगा।
– 100 करोड़ रुपए या इससे अधिक के कारोबार वाली इकाइयां 1 फ रवरी 2020 से ई-इनवॉयसिंग कर पाएंगी।
– अप्रेल 2020 से सभी कंपनियों के लिए लागू होने के बावजूद 100 करोड़ रुपए से कर्म टर्नओवर वाली इकाइयों के लिए ऐसा करना स्वैच्छिक होगा।
ई-इनवॉयसिंग जीएसटी सरलीकरण की दिशा में बड़ा कदम है। इसके दूरगामी परिणाम होंगे।हालांकि सिस्टम रिसोर्स, स्टैण्डर्ड फॉर्मेट लाना और व्यापारियों तक जानकारी पहुंचाना चुनौती का काम होगा।
– अर्पित हल्दिया, सीए व जीएसटी एक्सपर्ट
– डॉ भरत दिनेश, अध्यक्ष, जोधपुर हैण्डीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन