जोधपुर सासंद गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा कि ‘माननीय केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव का हृदयतल से आभार कि उन्होंने मेरे अनुरोध पर “राई का बाग” रेलवे स्टेशन का नाम संशोधित कर मूल नाम “राइका बाग” किए जाने को स्वीकृति प्रदान की है।’
शेखावत ने रेलमंत्री का जताया आभार
उन्होंने आगे लिखा कि ‘रेलवे रिकॉर्ड में वर्तनी की त्रुटि की वजह से इस जंक्शन का वास्तविक नाम परिवर्तित हो गया था, जिससे राइका समाज की भावनाएँ आहत होती रहीं। निश्चित ही इस संशोधन से केवल राइका समाज ही नहीं अपितु स्थानीय निवासियों को भी पहचान से जुड़ी प्रसन्नता का अनुभव होगा। एक बार फिर मेरे मित्र अश्विनी वैष्णव को साधुवाद कि इस संदर्भ में मेरे पत्र को उन्होंने त्वरित रूप से प्राथमिकता दी।’ जानिए क्या रहा विवाद
मारवाड़ के शासक महाराजा जसवंत सिंह की रानी ने जोधपुर में एक बाग को और अधिक सुंदर बनाया और इस स्थान का नाम ‘राई का बाग’ से ‘राइका बाग पैलेस’ हो गया। जोधपुर राठौड़ शासक के समय में राज्य को अन्य भागों से जोड़ने के लिए यहां रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया।
जिसका नाम पूर्व में प्रचलित नाम ‘राइका बाग’ के नाम पर ‘राइका बाग पैलेस जंक्शन’ रखा गया। यह रेलवे को बहुत पुराना रेलवे जंक्शन है और इसका नाम ‘राइका बाग पैलेस जंक्शन’ था, जो अब राई का बाग अलग कर दिया गया।
देवासी समाज का कहना है कि राजकालीन व्यवस्था के दौरान आसूराम राइका की सेवा भावना के कारण उनको उक्त जमीन देकर सम्मानित किया था। बाद में उक्त स्थान जसवंतसिंह की पत्नी ने पसंद आने पर आशुराम राइका से जमीन ली और उस पर बनाए बाग का नाम राइकाबाग रखा। ये रेलवे स्टेशन उसी जमीन पर बना है।