पश्चिमी राजस्थान की शुष्क जलवायु के अनुकूल अनार की ओर किसानों का रुझान बढऩे लगा है। प्रदेश में बाड़मेर के बाद जोधपुर में भी किसानों को अनार की खेती रास आने लगी है। किसान अनार की पतझड़ करवाकर फ सल की तैयारियां शुरू कर चुके है। अधिकतर किसान अनार में जुलाई-अगस्त से शुरू होकर जनवरी-फ रवरी में पकने वाली ‘मृग बहार’ (अनार की एक सीजन) फ सल लेते है। इसमें मानसून से पहले ही किसान पतझड़ करवाकर पौधों के पोषण की व्यवस्था कर देते है। जिससे बरसात शुरू होते ही फ ूल आने शुरू हो जाते है और फ रवरी माह तक फल पककर तैयार हो जाते है।
— गिरते भूजल स्तर व पानी मे क्षारीयता के कारण भी बढ़ा रुझान जिले में भूजल के गिरते स्तर के कारण पानी की बढ़ती क्षारीयता व कम उपलब्धता इस परिस्थिति के अनुकूल होने के चलते किसानों का अनार की बागवानी की ओर रुझान बढ़ा है। अनार के पौधों में ड्रिप प्रणाली से पानी देने, अन्य फ सलों की अपेक्षा कम पानी की आवश्यकता के चलते व हल्के क्षारीय पानी मे भी उत्पादन देने के गुण के कारण पश्चिमी राजस्थान के किसानों का रुझान अनार की ओर बढ़ा है।
– 2 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बागवानी जिले में दो हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में अनार की बागवानी की गई है। पश्चिमी राजस्थान में अनार की प्रसंस्करण इकाइयां लगती है तो किसानों की आय बढ़ाने में अनार का बड़ा योगदान हो सकता है। इसके साथ ही, पश्चिमी राजस्थान अनार का बड़ा हब बन सकता है।
— पौधे व ड्रिप सिंचाई के लिए सरकारी अनुदान उपलब्ध अनार का बाग लगाने के लिए प्रत्येक किसान को 4 हेक्टेयर तक पौधे खरीदने व सिंचाई के लिए ड्रिप प्रणाली संयंत्र लगाने के लिए अनुदान दिए जाने के प्रावधान है। इसके लिए किसान ऑनलाइन आवेदन कर अनार की बागवानी के लिए अनुदान प्राप्त कर सकते है।
—- जिले में बड़ी संख्या में किसान अनार में रुचि दिखा रहे है । विभाग की ओर से पर्याप्त तकनीकी सलाह उपलब्ध करवाई जाती है तो किसान कम पानी मे भी अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते है।
तुलछाराम सिंवर, प्रांत प्रचार प्रमुख भारतीय किसान संघ जोधपुर