वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। मोहिनी एकादशी का खास महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है। मोहिनी एकादशी का व्रत सोमवार को रखा जाएगा। मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत सभी प्रकार के दुखों का निवारण करने वाला, सब पापों को हरने वाला और व्रतों में उत्तम व्रत है। पं अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 30 अप्रेल को रात 8:28 बजे से होगी। अगले दिन 1 मई को रात 10:09 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। उदया तिथि 1 मई को है, इसलिए मोहिनी एकादशी व्रत सोमवार को रखा जाएगा। मोहिनी एकादशी व्रत के पारण का समय 2 मई को सुबह 5:40 से 8:19 बजे तक है।
——–
——–
यह है पूजा विधि पं जितेन्द्र राजजोशी ने बताया कि मोहिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर बाद पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का स्मरण करें और पूजा करें। फिर ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। उसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों के साथ पूजन करे व रात को दीपदान करें। भगवान को पीले फूल और फलों को अर्पण करें। अगले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद ब्राह्मणों को आमंत्रित करके भोजन कराएं और उन्हें भेंट-दक्षिणा दें। इसके बाद व्रत का पारण करें।
——–
——–
भगवान विष्णु ने रखा था मोहिनी रूप
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से अमृत कलश निकला, तब राक्षसों और देवताओं के बीच इस बात को लेकर विवाद शुरू हो गया कि अमृत का कलश कौन लेगा। इसके बाद सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। ऐसे में अमृत के कलश से राक्षसों का ध्यान भटकाने के लिए भगवान विष्णु मोहिनी नामक एक सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट हुए, जिसके बाद सभी देवताओं ने विष्णुजी की सहायता से अमृत का सेवन किया। इसी दिन वैशाख शुक्ल की एकादशी तिथि थी, इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से अमृत कलश निकला, तब राक्षसों और देवताओं के बीच इस बात को लेकर विवाद शुरू हो गया कि अमृत का कलश कौन लेगा। इसके बाद सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। ऐसे में अमृत के कलश से राक्षसों का ध्यान भटकाने के लिए भगवान विष्णु मोहिनी नामक एक सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट हुए, जिसके बाद सभी देवताओं ने विष्णुजी की सहायता से अमृत का सेवन किया। इसी दिन वैशाख शुक्ल की एकादशी तिथि थी, इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है।