जोधपुर की बात करें तो इन दिनों पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में इस तरह के पीड़ित बच्चे लगातार आ रहे हैं। मौसम में बदलाव के साथ ही ओपीडी में भी बीमार बच्चों की कतारें लगने लगी हैं। उम्मेद अस्पताल में इन दिनों करीब 250 बच्चे आ रहे हैं, जिनमें से करीब प्रतिशत बच्चों को वायरल निमोनिया की शिकायत है। खास बात यह है कि चिकित्सा विभाग राजस्थान ने भी बच्चों में निमोनिया बीमारी को लेकर अलर्ट जारी किया है।
यह है निमोनिया की निशानी
– खांसी के साथ पीला या लाल रंग का बलगम निकलना
– सांस लेने मे तकलीफ
– तीव्र, उथली श्वास
– भूख में कमी, कम ऊर्जा, और थकान
– मतली और उल्टी आना खासकर छोटे बच्चों में
– खांसी के साथ पीला या लाल रंग का बलगम निकलना
– सांस लेने मे तकलीफ
– तीव्र, उथली श्वास
– भूख में कमी, कम ऊर्जा, और थकान
– मतली और उल्टी आना खासकर छोटे बच्चों में
डरने की जरूरत नहीं
– चार साल तक के बच्चे को साल में चार या पांच बार जुकाम हो सकता है, इनमें से अधिकांश अपनेआप ही ठीक हो जाता है। बॉडी का इम्युन सिस्टम इसे ठीक कर देता है।
– बुखाार यदि एक-दो दिन में ठीक हो जाता है तो ठीक है।
– चार साल तक के बच्चे को साल में चार या पांच बार जुकाम हो सकता है, इनमें से अधिकांश अपनेआप ही ठीक हो जाता है। बॉडी का इम्युन सिस्टम इसे ठीक कर देता है।
– बुखाार यदि एक-दो दिन में ठीक हो जाता है तो ठीक है।
इन बातों का रखना चाहिए ध्यान
– बच्चों को हमेशा हाइड्रेडेट रखना चाहिए
– इम्युनाइजेशन अच्छा होना चाहिए। सभी टीके लगाने चाहिए
– अच्छा खान पान रखे
– सर्दियों में बच्चों को गर्म कपड़ों का ध्यान रखें और ज्यादा पानी में न जाने दें
– बच्चों को हमेशा हाइड्रेडेट रखना चाहिए
– इम्युनाइजेशन अच्छा होना चाहिए। सभी टीके लगाने चाहिए
– अच्छा खान पान रखे
– सर्दियों में बच्चों को गर्म कपड़ों का ध्यान रखें और ज्यादा पानी में न जाने दें
रात को ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. अनुराग सिंह बताते हैं कि वायरल न्यूमोनिया कॉमन रहता है, यह ठीक वैसा ही है जिसमें वायरस डिफरेंट फॉर्म में आते हैं। खांसी जुकाम और सांस लेने में दिक्कत होती है। रात में बच्चों का खास ध्यान रखने की जररूत है। सांस यदि तेज होती है तो चिकित्सक को सम्पर्क करना चाहिए। निमोनिया यदि ज्यादा पुराना हो जाता है तो बच्चों को काफी तकलीफ में डाल सकता है।
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. अनुराग सिंह बताते हैं कि वायरल न्यूमोनिया कॉमन रहता है, यह ठीक वैसा ही है जिसमें वायरस डिफरेंट फॉर्म में आते हैं। खांसी जुकाम और सांस लेने में दिक्कत होती है। रात में बच्चों का खास ध्यान रखने की जररूत है। सांस यदि तेज होती है तो चिकित्सक को सम्पर्क करना चाहिए। निमोनिया यदि ज्यादा पुराना हो जाता है तो बच्चों को काफी तकलीफ में डाल सकता है।
20 प्रतिशत मामलों में पड़ती है भर्ती करने की जरूरत
सांस में दिक्कत है तो वायरल निमोनिया हो सकता है। ऐसे मामलों में 20 प्रतिशत बच्चों को ही भर्ती करने की जरूरत पड़ती है। कई बच्चे एलर्जिक होते हैं तो सर्दी में ज्यादा परेशानी होती है। इनको हर थोड़े दिनों में जुकाम की शिकायत हो जाती है। ऐसे लोगों की इम्युनिटी कम नहीं होती है, हाइपर सेंसिटिव होते हैं। इनका इलाज अलग तरीके से किया जाता है।
डॉ. मनीष पारख, सीनियर प्रोफेसर व एचओडी, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
सांस में दिक्कत है तो वायरल निमोनिया हो सकता है। ऐसे मामलों में 20 प्रतिशत बच्चों को ही भर्ती करने की जरूरत पड़ती है। कई बच्चे एलर्जिक होते हैं तो सर्दी में ज्यादा परेशानी होती है। इनको हर थोड़े दिनों में जुकाम की शिकायत हो जाती है। ऐसे लोगों की इम्युनिटी कम नहीं होती है, हाइपर सेंसिटिव होते हैं। इनका इलाज अलग तरीके से किया जाता है।
डॉ. मनीष पारख, सीनियर प्रोफेसर व एचओडी, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज