जोधपुर

स्वर्णिम मशाल पहुंचते ही जीवंत हो गई लोंगेवाला में पाक को धूल चटाने की यादें

– बॉर्डर पर विजय मशाल का भव्य स्वागत, चांदपुरी की पत्नी ने कोर कमाण्डर के साथ रीसिव की मशाल

जोधपुरJul 10, 2021 / 09:17 pm

Gajendrasingh Dahiya

स्वर्णिम मशाल पहुंचते ही जीवंत हो गई लोंगेवाला में पाक को धूल चटाने की यादें

जोधपुर. भारत-पाकिस्तान के मध्य 1971 में हुए युद्ध में भारत की जीत की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर शुरू हुई स्वर्णिम विजय मशाल यात्रा शनिवार सुबह जैसलमेर के लोंगेंवाला पहुंची। इसके साथ ही लोंगेवाला में पाकिस्तान को धूल चटाने की यादें जीवंत हो चुकी। हालांकि इस मौके मात्र 120 सैनिकों की टुकड़ी के साथ पाकिस्तान की ढाई हजार सैनिकों वाली टैंक ब्रिगेड को न सिर्फ पूरी रात रोके रखने और पाकिस्तानी टैंकों का कब्रिस्तान बना देने में अहम भूमिका निभाने वाले मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी तो नहीं थे, लेकिन उनकी पत्नी सुरिंदर कौर ने जैसे ही कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीएस मिन्हास के साथ मशाल थामी, उनकी आंखों में लोंगोवाला की लड़ाई के दृश्य घूम गए जो युद्ध के बाद चांदपुरी ने उन्हें सुनाए थे।
पांच दिन पहले जोधपुर में विजय मशाल के सम्मान कार्यक्रम में जनरल मिन्हास ने इस बात का खुलासा किया था कि वे भी चांदपुरी के गांव के ही है और 1971 की विजय के बाद अपने गांव लौटे कुलदीप सिंह की विजय जश्न में भी शामिल हुए थे।
एकत्रित की लोंगेवाला की मिट्टी
जनरल मिन्हास और सुरिंदर कौर ने लोंगेवाला युद्ध स्थल के उसी स्थान से मिट्टी एकत्र की, जहां 5 दिसंबर 1971 को तत्कालीन मेजर कुलदीप सिंह ने 23-पंजाब की एक कंपनी की कमान संभालते हुए पाकिस्तानी हमले को विफल किया था। कार्यक्रम में मिन्हास ने 1971 के लोंगेवाला युद्ध में मातृभूमि के लिए वीरतापूर्वक लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी बहादुर सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की।
तनोट के बाद मुनाबाव पहुंचेगी मशाल
विजय मशाल को अब तनोट और सम ले जाया जाएगा। इसके बाद सीमा पर स्थित मुनाबाव जाएगी जो भविष्य की पीढिय़ों को प्रेरित करेगी और युवाओं में देशभक्ति की भावना को जगाएगी।

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