जयपुर में भीषण अग्निकांड के बाद राजस्थान पत्रिका टीम ने शहर का जायजा लिया तो विकट हालात सामने आए। शहर में 35 से अधिक एलपीजी गैस एजेंसियां हैं। इनमें से आधा दर्जन से अधिक एजेंसियों के गोदाम अभी भी शहरी इलाकों में हैं।
कम्पनियां एक गोदाम में 12 हजार किलो एलपीजी रखने की अनुमति देती है। यानी एक गोदाम में एक समय में 850 एलपीजी सिलेण्डर भरे रहते हैं। एक एलपीजी टैंकर की क्षमता 5 मीट्रिक टन से लेकर 12 मीट्रिक टन तक होती है।
यानी एक गैस गोदाम एक एलपीजी टैंकर के बराबर है। रिहायशी इलाकों में अगर चिंगारी भड़की तो जान-माल का काफी नुकसान हो सकता है।
रसद विभाग मौन
गैस गोदाम को लेकर रसद विभाग मौन है। आए दिन पुलिस ही अवैध गैस की धरपकड़ करती है और बाद में रसद विभाग के अधिकारियों को सूचना देकर बुलाती है। खुद रसद विभाग अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पाया है। सूत्रों का कहना है कि वैसे भी राशन की दुकानों पर अब केवल गेहूं मिलता है और वह भी ऑनलाइन हो गया है। ऐसे में रसद विभाग के अधिकारियों पास काम का ज्यादा लोड भी नहीं है।
झालामण्ड और बनाड़ में अधिकांश गोदाम
शहर की गैस एजेंसियों के अधिकतर गोदाम झालामण्ड और बनाड़ क्षेत्र में संचालित हो रहे हैं। झालामण्ड के कई गैस गोदाम धीरे-धीरे रिहायशी इलाकों में आ रहे हैं। यह भी पढ़ें
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यहां संचालित हो रहे गैस गोदाम
- * जोधपुर के सिंवाची गेट गडड़ी में एक गैस गोदाम है जो पूरी तरीके से शहरी इलाके में है। यहां पास में मैरिज हॉल भी है, जहां शादी समारोह होते रहते हैं।
- * भदवासियां में नाले के पास गैस गोदाम है, जहां चारों तरफ रिहायशी और वाणिज्यिक गतिविधियों का संचालन होता है।
- * लालसागर में कॉलोनी के मध्य गैस गोदाम है, जहां बड़े-बड़े बंगले बने हुए हैं। कॉलोनिवासियों ने कई बार शिकायत की, लेकिन गैस गोदाम वहीं का वहीं है।
- * शास्त्रीनगर सर्कल और आईटीआई सर्कल में तो पास-पास ही गैस गोदाम बने हुए हैं।
- * सूरसागर सहित कुछ अन्य हिस्सों में भी चोरी-छिपे गोदाम संचालित हो रहे हैं।
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