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आखिर ग्लोबल वार्मिंग ने ऐसे दिया टिड्डी का साथ

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– सऊदी अरब, यमन व ओमान के त्रिकोण में पानी भरने से फले फूले टिड्डी दल- जून और नवम्बर में थार में हुई असामयिक बरसात

जोधपुरFeb 05, 2020 / 07:53 pm

Gajendrasingh Dahiya

Locust threat in India: जलवायु परिवर्तन से टिड्डी को मिला जीवनदान

जोधपुर. वर्ष 2018 और वर्ष 2019 के दौरान जलवायु में हुए परिवर्तन से टिड्डी 26 साल बाद हमला करने में सफल हुई। दो साल में अरब सागर में चक्रवातों के पैटर्न में बदलाव के साथ गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम में भी परिवर्तन आ गया। जून व नवम्बर में बाड़मेर सहित थार के कई हिस्सों में लंबी अवधि तक बरसाती मौसम बना रहा। अरब सागर में लगातार चक्रवात बने। इससे सऊदी अरब, यमन व ओमान के त्रिकोण यानी रेगिस्तानी हिस्सों में पानी भर गया, जहां टिड्डी ने भारी संख्या में अण्डे दिए। टिड्डी प्रकोप से पाकिस्तान के साथ सोमानिया ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने पूर्वी अफ्रीकी देशों की भयावह स्थिति देखकर शेष विश्व से मदद का आह्वान किया है।
पिछले दो साल में अरब सागर में चक्रवातों की आवृत्ति में बदलाव आया है। मई 2018 में साइक्लोन मेकुनु के कारण सऊदी अरब, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और यमन के रब अल-खली रेगिस्तान के हिस्सों में पानी भर गया। बारिश का पानी अल खारेर, थाबुल्तौन और उम-अल-मल्ह में इकठ्ठा हो गया जो सऊदी अरब, यमन और ओमान की सीमा पर त्रिकोण में हैं। इससे टिड्डी के प्रजनन की स्थिति बनी। अक्टूबर 2018 में चक्रवात लुबान ने अरब प्रायद्वीप में टिड्डी प्रजनन की अनुकूल स्थितियां बनाई। 2019 की शुरुआत यानी जनवरी-फरवरी में बाढ़ आई। इन दो महीनों में लाल सागर के दोनों तटों इरिट्रिया, जिबूती, सोमालिया, सउदी अरब और यमन में अच्छी बारिश हुई, जिससे टिड्डी को एशिया में भोजन मिल गया और इधर चली आई।
बाड़मेर में जून में 14 दिन तक बरसाती मौसम
जून 2019 में बाड़मेर में अप्रत्याशित मौसम रहा। 14 दिन तक बरसाती बादल बने रहने से टिड्डी ने अण्डे दे दिए। 24 जून को दो घंटों में 44.5 मिमी पानी बरसा। जुलाई में देरी से बारिश हुई लेकिन एक साथ पानी गिरने से मिट्टी नम हो गई। गर्मी का सामना कर रहे टिड्डी हॉपर के लिए यह जीवनदान था। बारिश के कारण रेगिस्तानी वनस्पतियां जैसे सेवन घास और सफेद धामन खूब हुई, जिस पर टिड्डी ने मुंह साफ किया। टिड्डियां आमतौर पर नवंबर तक भारत छोड़ देती हैं। लेकिन इस बार नवम्बर में भी नौ दिनों तक बरसाती मौसम रहा।
चाबहार बंदरगाह पर हो रही भारी बारिश
ईरान के चाबहार बंदरगाह के पास सामान्य बरसात होती है लेकिन वर्तमान में वहां भारी बारिश हो रही है जिससे टिड्डी अण्डे दे रही है। यह टिड्डी अप्रेल-मई में भारत-पाकिस्तान में आएगी।
जलवायु में हुआ परिवर्तन
वर्ष 2019 में जलवायु में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। गर्मी, सर्दी व बरसात के पैटर्न में बदलाव है।
-डॉ. डीवी सिंह, वैज्ञानिक, काजरी जोधपुर

सर्दी में नहीं रहती टिड्डी
टिड्डी नवंबर महीने में भारत से अफ्रीकी देशों में लौट जाती है लेकिन इस बार मौसम में बदलाव के कारण टिड्डी ठहर गई।
-डॉ. केएल गुर्जर, उप निदेशक, टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर

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