जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि- प्रोफेसर नवानांग सामतें
जोधपुर. जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन केंद्र की ओर से बौद्ध दर्शन एक परिचय विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता पदम श्री सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हायर तिब्बतन स्टडीज के कुलपति प्रोफेसर गरषे नवांग सामतें ने अपने उद्बोधन में कहा कि मनुष्य को आंतरिक, मानसिक और पर्यावरणीय संसार की व्याख्या करना जरूरी है। इससे दुख के कारणों को समझने में मदद मिलेगी। साधना से हमारे दुखों का अंत हो सकता है। उन्होंने बुद्धम शरणम गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि और संगम शरणम गच्छामि की व्याख्या की।
अध्यक्षता कर रहे जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो प्रवीण चंद त्रिवेदी ने बौद्ध दर्शन को आज के समय की जरुरत बताया। उन्होंने कहा कि विश्व जिस विकट परिस्थिति से गुजर रहा है बौद्ध दर्शन एक नई राह दिखाता है। बुध की शिक्षा हमें कर्म के सिद्धांत को समझने में मदद करती है। बुद्ध ने मध्यम मार्ग की बात करी है जो आज बहुत ही प्रासंगिक है। केएन कॉलेज निदेशक प्रो संगीत लुंकड़ ने भी अपने विचार रखे।