जोधपुर. बदलती जीवनशैली और अनियमित खानपान के चलते कई लोग चैन की नींद नहीं सो पा रहे। कई लोग नींद में खर्राटे से परेशान हैं। आमतौर पर लोग खर्राटों को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन ऐसा करनादूसरी बीमारियों को आमंत्रण देना है। कई चिकित्सक भी मरीज की मधुमेह, बीपी या अन्य बीमारी का इलाज तो करते रहते हैं, लेकिन उसकी असल बीमारी खर्राटे का इलाज पहले नहीं करते।
चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि मरीज आराम की नींद नहीं सोएगा, तब तक किसी भी बीमारी का इलाज संभव नहीं है। यही वजह है कि जोधपुर एम्स और डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक लम्बे समय से नींद से जुड़ी बीमारियों पर शोध कर रहे हैं। हाल ही एम्स में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की कांफ्रेस में नींद से सम्बंधित बीमारियों और उनके उपचार पर गहन चर्चा की गई।
नींद में खर्राटे, मधुमेह सहित अन्य बीमारियों पर रिसर्च कर रहे मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ आचार्य डॉ. नवीन किशोरिया ने कोच्ची में आयोजित नेपीकॉन कांफ्रेंस में नींद की बीमारी पर पेपर प्रस्तुत किया था। डॉ. किशोरिया के अनुसार मधुमेह, ब्लड प्रेशर, किडनी, हृद्य रोग, ब्रेन स्ट्रॉक पीडि़त मरीजों में नींद की कमी प्रमुख समस्या के तौर पर उभर रही है। इसलिए मुख्य बीमारी का इलाज से पहले नींद से सम्बंधित समस्या का निदान जरूरी है। यदि मरीज सात घंटे अच्छी नींद लेगा तो ही उसकी दूसरी बीमारी का इलाज संभव है। स्वस्थ जीवन के लिए नींद से महत्वपूर्ण कुछ नहीं है। उन्होंने बताया कि इस बार ”World Sleep Day ‘ का स्लोगन ‘ हैल्दी स्लीप, हैल्दी एजिंग’ (अच्छी नींद लो और अधिक उम्र पाओ) रखा गया है।
नींद की बीमारी के लक्षण- -रात में सोते समय खर्राटे आना और बीच में मरीज का बैचेन होकर उठ जाना।
-दिन में कुर्सी पर बैठे-बैठे नींद आना, सुबह उठने पर सिरदर्द होना। -चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी।
-दिन में कुर्सी पर बैठे-बैठे नींद आना, सुबह उठने पर सिरदर्द होना। -चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी।
खर्राटे आते हैं तो कराएं जांच- डॉ. अशोक राठी व डॉ. अंकुर राठी, अनुभा राठी ने वल्र्ड स्लीप डे के अवसर पर पत्रकारों को बताया कि नींद से सम्बंधित बीमारी मोटे या अत्यधिक पतले लोगों को होती है। बीमारी के लक्षण नजर आते ही ‘स्लीप टेस्टÓ करवाना चाहिए। यह टेस्ट मरीज को रातभर लैब में सुलाकर किया जाता है। करीब 1000 पेज की जांच रिपोर्ट में मरीज के शरीर में रात भर क्या-क्या होता है, कितनी करवट लेता है और श्वसन क्रिया की पूरी रिपोर्ट बनती है। चिकित्सकों के अनुसार खर्राटों की बीमारी में सीपीएपी स्लीप एपनिया का प्रभावी इलाज है। इस इलाज के बाद मरीज को आसानी से नींद आती है और नींद टूटने और खर्राटे की समस्या से निजात मिल जाती है।
जोधपुर में नींद की बीमारी : एक नजर- डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में 6 साल में 1500 मरीजों की स्लीप टेस्ट जांच की, जिसमें से 50 प्रतिशत मरीजों को नींद की बीमारी का इलाज दिया।
-खर्राटे दो तरह के होते हैं। नॉर्मल खर्राटे से कोई नुकसान नहीं, जबकि असामान्य खर्राटे बीमारी का लक्षण हैं।
-खर्राटे दो तरह के होते हैं। नॉर्मल खर्राटे से कोई नुकसान नहीं, जबकि असामान्य खर्राटे बीमारी का लक्षण हैं।
-मधुमेह के 50 प्रतिशत और गुर्दे के 40 प्रतिशत मरीजों को नींद से सम्बंधित बीमारी।
-आमतौर पर 10 प्रतिशत लोगों को आते हैं खर्राटे। -महिलाओं की तुलना में 2 प्रतिशत पुरुषों में अधिक आते हैं खर्राटे।
-हर साल करीब 4000 हजार नींद से सम्बंधित मरीजों का जोधपुर में इलाज।
-आमतौर पर 10 प्रतिशत लोगों को आते हैं खर्राटे। -महिलाओं की तुलना में 2 प्रतिशत पुरुषों में अधिक आते हैं खर्राटे।
-हर साल करीब 4000 हजार नींद से सम्बंधित मरीजों का जोधपुर में इलाज।