पक्षी कक्ष वाक इन एवेरी के मोर, तोतों और पेलिकन आदि पक्षियों को माचिया जैविक उद्यान में शिफ्ट कर दिया गया। जंतुआलय को खाली करने के निर्देश की अनुपालना में हरिण बाड़े में करीब २४० चीतलों में से २२० चीतल कोटा के मुकुंदरा हिल्स में पहले ही छोड़े जा चुके हैं। वन्यजीव चिकित्सक डॉ. श्रवणसिंह राठौड़ ने बताया कि उम्मेद उद्यान में संचालित वन्यजीव चिकित्सालय भी कायलाना रोड स्थित अधिकारियों के आवास परिसर के पास मैदान में शिफ्ट किया जा चुका है।
एक दशक बाद परिकल्पना साकार
जंतुआलय के वन्यजीवों को माचिया जैविक उद्यान में शिफ्ट करने की परिकल्पना २००१ में की गई थी, लेकिन मामला छह साल तक ठंडे बस्ते में रहा। उसके बाद वर्ष २००७ -०८ में तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक राजन माथुर ने परियोजना का संशोधित प्रस्ताव बनाकर जयपुर भेजा। वर्ष २००८ से २०११ तक तत्कालीन जोधपुर डीएफओ बीआर भादू, भारतीय वन सेवा अधिकारी आंकाक्षा चौधरी ने परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए डिजाइन नक्शे आदि तैयार करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उपवन संरक्षक राजीव जुगतावत, महेन्द्र सिंह राठौड़ एवं वर्तमान अधिकारी भगवानसिंह राठौड़ ने माचिया उद्यान का रूप निखारने में सहयोग किया। जंतुआलय के पूर्व अधिकारी वाईडी सिंह ने अकाल राहत कार्य के दौरान १९८० में माचिया जैविक उद्यान की सुरक्षा दीवार बनवाई।
जंतुआलय के वन्यजीवों को माचिया जैविक उद्यान में शिफ्ट करने की परिकल्पना २००१ में की गई थी, लेकिन मामला छह साल तक ठंडे बस्ते में रहा। उसके बाद वर्ष २००७ -०८ में तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक राजन माथुर ने परियोजना का संशोधित प्रस्ताव बनाकर जयपुर भेजा। वर्ष २००८ से २०११ तक तत्कालीन जोधपुर डीएफओ बीआर भादू, भारतीय वन सेवा अधिकारी आंकाक्षा चौधरी ने परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए डिजाइन नक्शे आदि तैयार करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उपवन संरक्षक राजीव जुगतावत, महेन्द्र सिंह राठौड़ एवं वर्तमान अधिकारी भगवानसिंह राठौड़ ने माचिया उद्यान का रूप निखारने में सहयोग किया। जंतुआलय के पूर्व अधिकारी वाईडी सिंह ने अकाल राहत कार्य के दौरान १९८० में माचिया जैविक उद्यान की सुरक्षा दीवार बनवाई।