वीरमाराम ने फर्जी आधार कार्ड बनाकर अपना नाम जगाराम रख लिया था, बावजूद इसके पुलिस ने तीन महीने की मेहनत के बाद सात दिन में 5500 किलोमीटर तक वीरमाराम का पीछा करते हए उसे एक होटल से पकड़ ही लिया। जोधपुर पुलिस रेंज की साइक्लोनर टीम के कन्हैयालाल, उपनिरीक्षक प्रमीत चैहान, हेड कांस्टेबल महिपाल सिंह, अशोक कुमार, स्ट्रोंग टीम के कांस्टेबल देवाराम, टॉरमेडो टीम के कांस्टेबल रोहिताश कुमार, डीएसटी बाड़मेर के मालाराम की प्रमुख भूमिका रही। आईजी विकास कुमार ने बताया कि सभी पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया जाएगा।
चलाया अभियान
जोधपुर रेंज पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि आरोपी वीरमाराम उर्फ बीरमराम पर वर्ष 2010 में
हत्या का प्रकरण दर्ज हुआ था। वह वर्ष 2018 में जेल से पैरोल पर रिहा होने के बाद फरार हो गया था। उसकी गिरफ्तारी के लिए 50 हजार का इनाम भी घोषित किया गया था, लेकिन वह हाथ नहीं लग रहा था। शातिर दिमाग का वीरमाराम कोई भी नया फोन या सिम खरीदने के बाद एक बार इस्तेमाल कर तोड़ देता था। हर बार अपनी जगह बदल लेता था। आधार कार्ड में नाम भी बदल दिया। जब पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए तीन महीने तक ऑपरेशन ओल्ड मोंक चलाया।
मनी ट्रांजेक्शन की सूचना से पकड़ा
आईजी विकास कुमार ने बताया कि मनी ट्रांजेक्शन के आधार पर रांची में सरगना के होने की छोटी सी सूत्र सूचना को विकसित कर साइक्लोनर टीम ने तू डाल-डाल में पात पात के तर्ज पर रांची से पीछा करते हुए मुजफ्फरपुर पहुंची। मुजफ्फरपुर में कई होटले खंगालने के बाद पुलिस उसके भारत-नेपाल बोर्डर पर स्थित रक्सौल पहुंचने की सूचना मिली। रक्सौल के होटलो में छानबीन के बाद वहां एक होटल में जगराम के ठहरने की पुष्टि हो गई। पुलिस ने ग्राहक बनकर होटल से उसे दबोच लिया।