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Jodhpur News: ऑपरेशन के बाद पेट में ही छोड़ दिया टॉवल, 3 महीने बाद चला पता, महिला की आंतें हो गईं खराब

कुचामन निवासी पीड़िता पेटदर्द के कारण बहुत कम खाना खा पाती थी, जिसके कारण उसके स्तन में दूध भी बहुत कम बन रहा है। शिशु को जन्म से ही बाहर का दूध पिलाना पड़ रहा है।

जोधपुरNov 25, 2024 / 08:42 am

Rakesh Mishra

Jodhpur News: कुचामन के राजकीय चिकित्सालय में एक महिला के सिजेरियन प्रसव के दौरान डॉक्टरों ने उसके पेट (एब्डोमन) में 15 गुणा 10 साइज का टॉवल (एक तरह से मेडिकल गॉज) छोड़ दिया। टॉवल अंदर होने के बावजूद महिला के टांके लगा दिए गए। प्रसव के पहले दिन एक जुलाई से लेकर तीन महीनों तक महिला तेज पेटदर्द से परेशान रही, लेकिन कुचामन के सरकारी डॉक्टर तो छोड़िए, वहां निजी अस्पताल, मकराना के अस्पताल और अजमेर के डॉक्टर भी महिला की इस पीड़ा को नहीं समझ पाए। अजमेर में डॉक्टरों ने तो सिटी स्कैन करके पेट में गांठ बता दी थी।
थक हारकर महिला के परिजन एम्स जोधपुर पहुंचे जहां गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉक्टर ने सिटी स्कैन के बाद अंदर किसी फॉरेन बॉडी के होने के जानकारी दी और ऑपरेशन के समय टॉवल देखकर दंग रह गए। इतना बड़ा टॉवल आंतों से चिपका हुआ था और आंतों को खराब कर दिया। तीन महीने तक महिला ने कई दर्द निवारक दवाएं ली, जिससे उसके शरीर के दूसरे अंगों को भी नुकसान हुआ है। मामले में डीडवाना सीएमएचओ ने जांच के लिए तीन डॉक्टरों की कमेटी गठित की थी, लेकिन परिजन संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए अब उन्होंने न्याय के लिए राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

पेट दर्द के कारण दूध नहीं बना

कुचामन निवासी पीड़िता पेटदर्द के कारण बहुत कम खाना खा पाती थी, जिसके कारण उसके स्तन में दूध भी बहुत कम बन रहा है। शिशु को जन्म से ही बाहर का दूध पिलाना पड़ रहा है। प्रोटोकॉल के अनुसार पहले छह महीने तक केवल मां का दूध पिलाना जरूरी है।

3-4 महीने तक लिक्विड डाइट की सलाह

पीड़िता की आंतें खराब हो जाने की वजह से उसकी आंतों में पाचन क्रिया बुरी तरह प्रभावित हुई है। एम्स के डॉक्टर ने पीड़िता को अगले तीन-चार महीने लिक्विड डाइट के साथ हल्का आहार लेने की सलाह दी है।

एम्स ने गॉज का टुकड़ा कल्चर के लिए भेजा

एम्स में गेस्ट्रो सर्जरी के डॉ. सुभाष सोनी के नेतृत्व में डॉ. सेल्वाकुमार, डॉ. वैभव वार्ष्णेय, डॉ. पीयूष वार्ष्णेय और डॉ. लोकेश अग्रवाल ने सर्जरी को अंजाम दिया। टॉवल को डालने के लिए पीडि़ता के परिजन से 3 किलो का प्लास्टिक का डिब्बा मंगाया था। टॉवल का एक टुकड़ा डॉक्टरों ने लेकर उसे कल्चर के लिए भेजा है ताकि उसमें तीन महीने में पनपने वाले बैक्टिरिया सहित अन्य रासायनिक क्रियाओं की जांच की जा सके।
हमने इस मामले में जांच के लिए डॉक्टरों की तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कमेटी ने जांच पूरी कर ली है। संभवत: आज इसकी रिपोर्ट मिल जाएगी।

  • डॉ. अनिल जूडिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डीडवाना
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