बंटी पीपाड़ में फोटोग्राफी का कार्य कर परिवार का पालन पोषण कर रहा था। परिवार के मुखिया की मौत के बाद तीन बालिकाओं के पालन पोषण व शिक्षा के लिए उनकी पत्नी सरोज सेन ने हिम्मत नहीं हारी। सरोज वर्ष 2022 में तीनों बालिकाओं को लेकर जोधपुर आ गई। यहां पर वह एम्स में एक ठेकाकर्मी के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया। बालिकाओं की सरकारी शिक्षण संस्थानों में दाखिला दिलवाया। परिवार की गाड़ी पटरी पर लौट रही थी, लेकिन विधाता को कुछ और ही मंजूर था।
सरोज की तबियत 22 नवबर को अचानक खराब होने से उसे परिजनों ने जोधपुर में ही इलाज के लिए सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया, लेकिन हालात बिगड़ते ही गए। 23 को अलसुबह आखिरकार सरोज ने सांसे थम गईं। पति बंटी सेन की चतुर्थ पुण्यतिथि के दिन ही पत्नी सरोज की मौत से बालिकाओं पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। साथिन गांव में सरोज की मौत एवं मासूम बच्चियों के सिर से माता पिता का साया उठने की खबर सुनकर समाजबंधुओं की आंखें नम हो गईं। परिवार में सबसे बड़ी बेटी सुमित्रा 14 वर्ष, उर्मिला 12 वर्ष एवं सबसे छोटी झलक 9 वर्ष की है। तीनों बालिकाएं क्रमश: 11वीं 9वीं एवं 5 वीं कक्षा की छात्राएं हैं।