महाराजा हनवन्तसिंह का जन्म इसी महल में हुआ था । महाराजा सुमेरसिंह की बेटी किशोर कंवर बाईजीलाल का विवाह भी जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह के साथ 24 अप्रैल सन 1932 को इसी महल में हुआ था ।
रातानाडा पैलेस का नक्शा डब्ल्यू होम्स ने बनाया तथा उनके ही निर्देशन में इसका निर्माण कार्य हुआ । सन 1900 तक इस पैलेस की मुख्य इमारत पर रुपये 96 हजार 544 रुपए व्यय हुए । रातानाडा पैलेस के बड़े अस्तबल पर 88 हजार 211 रुपए , छोटे अस्तबल पर 17 हजार 394 रुपए , नहरों पर 27 हजार 343 रुपए , स्वीमिंग पूल के निर्माण पर 36 हजार 707 रुपए तथा रेसकोर्स के बंगले पर 38 हजार 414 रुपए और महल के सेवादारों और रसोड़दार के रहने के मकान पर 38 हजार 948 रुपए व्यय हुए । रातानाडा पैलेस के निर्माण पर कुल 3,42,561 रुपए खर्च हुए । एक प्रकार से यह स्थान राज्य की राजधानी के रूप में विकसित करने की योजना के अनुसार ही बनाया गया था । आगे चलकर उम्मेद भवन पैलेस के निर्माण के बाद रातानाडा का वैभव कम होता गया ।