ये हैं मापदण्ड
1 . जोधपुरी पत्थर का इस्तेमाल
भवन के भीतरी हिस्से में चारों तरफ निर्माण के लिए जोधपुरी पत्थर काम में लिया जा रहा है। इस पत्थर पर नक्काशी भी की गई है।
2. 10 किलोमीटर लंबी सुरंग
कैंपस में करीब 10 किलोमीटर लंबी सुरंग है। बिजली पानी व टेलीफोन लाइनें इसी सुरंग में से डाली गई हैं। सुरंग में स्कूटर या बाइक लेकर घूमा जा सकता है और सर्विस लाइन में कहीं कोई परेशानी होने पर उसे ठीक किया जा सकता है। सुरंग में हवा के प्रवाह के लिए ऊपर गुंबदनुमा कमरे बनाए गए हैं।
3. भूकम्प का नहीं होगा असर
भवन पर भूकंप का असर नहीं होगा। चारों तरफ बने बम्र्स में भी सामने की तरफ ऑफिस बनाए जा रहे हैं। ये ऑफिस पाइप की तरह लम्बे होंगे। कैम्पस के कंस्ट्रक्सन एक्सपर्ट सीवीआर मूर्ति हैं।
आइआइटी कैम्पस एक नजर
– 852 एकड़ जमीन का दायरा
– 24 किलोमीटर दूर है जोधपुर शहर से
– 16 अप्रेल 2013 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री एमएम पलमराजू ने रखी थी आधारशिला
– 5 वर्ष से चल रहा निर्माण
– 182 एकड़ जमीन पर बनेगा टेक्नोलॉजी पार्क
– 852 एकड़ जमीन का दायरा
– 24 किलोमीटर दूर है जोधपुर शहर से
– 16 अप्रेल 2013 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री एमएम पलमराजू ने रखी थी आधारशिला
– 5 वर्ष से चल रहा निर्माण
– 182 एकड़ जमीन पर बनेगा टेक्नोलॉजी पार्क
इनका कहना है
कैम्पस को विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। भवन भूकम्परोधी होगा। कितनी भी आंधी आए कैम्पस में मिट्टी नहीं गिरेगी।
सुभाष पांडेय, सलाहकार (प्रशासन), जोधपुर आइआइटी
कैम्पस को विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। भवन भूकम्परोधी होगा। कितनी भी आंधी आए कैम्पस में मिट्टी नहीं गिरेगी।
सुभाष पांडेय, सलाहकार (प्रशासन), जोधपुर आइआइटी