कुंभ में आएंगे करीब 20 लाख कल्पवासी
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि अबकी बार महाकुंभ और अधिक दिव्य-भव्य हो, इसको लेकर प्रशासन, उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार, सभी मिलकर बहुत व्यापक स्तर पर काम कर रहे हैं। महाकुंभ में आने वाले कल्पवासी, जो पूरे समय में रहकर वहां पर कल्प साधना करते हैं, उनकी संख्या इस बार 10 लाख के बजाय 20 लाख के आस-पास रहने वाली है। शेखावत ने कहा कि देश-दुनिया से जो पर्यटक महाकुंभ के समय आएंगे, लगभग 20 लाख विदेशी सैलानियों की हम उम्मीद करते हैं, उनको एक स्थान पर एक वृहद भारत का अनुभव हो, इस दृष्टिकोण से हमने तैयारी है। Rajasthan News : DEO बीकानेर की चेतावनी, अगर ड्यूटी निरस्त कराने की लगाई सिफारिश तो मिलेगा नोटिस भारत की संस्कृति को चित्रित करने के लिए बनाए गए अलग-अलग मंच
केंद्रीय मंत्री
शेखावत ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय ने अनेक स्थानों पर महाकुंभ में भारत की संस्कृति को चित्रित करने के लिए अलग-अलग मंच बनाए हैं। कुंभ में संस्कृति मंत्रालय को उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 एकड़ भूमि दी है, उस पर भारत के सभी प्रांतों क्रॉफ्ट, कल्चरल और कुजिन यानी हस्तशिल्प, संस्कृति व भोजन, इन तीनों को हम प्रदर्शित कर सकें, इस तरह की एक रचना की जा रही है।
45 करोड़ लोग कुंभ में आएंगे
शेखावत ने कहा कि देश के सभी ख्यातनाम कलाकार कुंभ में अपना प्रदर्शन करेंगे। देशभर के हस्तशिल्पी अपने हुनर का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करने वाले हैं। अबकी बार महाकुंभ दुनिया के लिए एक ऐसा अवसर होगा, जहां भारत की ताकत और भारत की सांस्कृतिक शक्ति को एक साथ में देख सकेंगे। 45 करोड़ लोग कुंभ में आएंगे, भारत और चीन को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश की इतनी आबादी नहीं है। इतने लोग एक साथ, एक जगह पर एकत्रित होंगे और दुनिया का सबसे बड़ा मानवों का एकत्रीकरण एक जगह पर होगा। क्या होता है कल्पवास जानें
प्रयागराज में
महाकुम्भ मेले में कल्पवास का बड़ा महत्व होता है। कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से प्रारंभ होकर माघ माह के 12वें दिन तक होता है। ऐसी मान्यता है कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ शुरू होने वाले एक मास के कल्पवास से एक कल्प जो ब्रह्मा के एक दिन के बराबर होता है, जितना पुण्य मिलता है। कल्पवास के लिए प्रयाग में संगम के तट पर डेरा डाल कर भक्त कुछ विशेष नियमों के साथ एक महीना व्यतीत करते हैं। संगम पर माघ के पूरे महीने निवास कर पुण्य फल प्राप्त करने की इस साधना को कल्पवास कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार कल्पवास की न्यूनतम अवधि एक रात्रि हो सकती है वहीं तीन रात्रि, तीन महीना, छह महीना, छह वर्ष, 12 वर्ष या जीवनभर भी कल्पवास किया जा सकता है।