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जोधपुर

खुद अंधेरे में काम करने को मजबूर हैं शहर को रोशन करने वाले कर्मचारी, डिस्कॉम में अटकी पड़ी है यार्ड लाइटिंग की प्रक्रिया

ब हालात यह है कि पंच पर्व दीपावली पर निर्बाध बिजली व्यवस्था के लिए यार्ड लाइटिंग की व्यवस्था कर्मचारियों को ही करनी पड़ सकती है।

जोधपुरNov 04, 2018 / 12:58 pm

Harshwardhan bhati

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अविनाश केवलिया/जोधपुर. दीपावली पर पूरे शहर को रोशन करने की जिम्मेदारी जिन कर्मचारियों है वह खुद अंधेरे में हैं। ऐसे में कोई तकनीकी गड़बड़ी ठीक करने के लिए टॉर्च ही सहारा है। जोधपुर डिस्कॉम के 10 जिलों में जीएसएस पर यार्ड लाइटिंग की व्यवस्था नहीं होने से यह परेशानी आ रही है। जोधपुर शहर में डिस्कॉम के 66 जीएसएस हैं। इनमें से अधिकांश में यार्ड लाइटिंग की व्यवस्था नहीं है। कर्मचारियों ने इस बारे में प्रबंधन को बताया तो डिस्कॉम एमडी सुमेरसिंह यादव ने करीब दो माह पहले तुरंत यार्ड लाइटिंग की व्यवस्था करने के निर्देश जारी किए। इसके बाद प्रस्ताव बनाकर डिस्कॉम मुख्यालय भेजा गया। लेकिन एक आपत्ति के कारण इस प्रक्रिया को रोक दिया गया। अब हालात यह है कि पंच पर्व दीपावली पर निर्बाध बिजली व्यवस्था के लिए यार्ड लाइटिंग की व्यवस्था कर्मचारियों को ही करनी पड़ सकती है।
क्यों जरूरी है यार्ड लाइटिंग


जीएसएस पर रात को काम के समय यार्ड लाइटिंग आवश्यक है। फिलहाल अधिकांश जीएसएस परिसर के एक या दो कमरे में ही लाइटिंग होती है। ऐसे में रात को कोई तकनीकी खराबी आने या सम्बंधित क्षेत्र में गड़बड़ी की वजह से बिजली सप्लाई बंद करनी पड़ती है तो टॉर्च का सहारा लेना पड़ता है।
संघ ने रखी मांग


जोधपुर विद्युत वितरण निगम श्रमिक संघ के कुलदीप सांखला ने बताया कि एमडी के निर्देश के बावजूद काम नहीं होने पर हमने फिर प्रबंधन से यह मांग रखी। अब दीपावली के दिनों अतिरिक्त लोड होने के कारण रात में अंधेरे में काम करने से खतरा बना हुआ है।
इनका कहना…

यार्ड लाइटिंग के लिए प्रस्ताव डिस्कॉम मुख्यालय भेजा था। किसी कारण प्रक्रिया अटक गई। अब आचार संहिता के बाद ही नई स्वीकृतियां व टेंडर हो सकेंगे।


– एस.सी विश्नोई, जोनल मुख्य अभियंता, जोधपुर डिस्कॉम
तीन-चार साल से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोई खरीद नहीं हो रही है। खुद के स्तर पर रोशनी करते हैं। कर्मचारियों को मरम्मत करते समय खतरा उठाना पड़ता है।

– जगदीश दाधीच, प्रदेश संगठन मंत्री, जोधपुर विद्युत वितरण निगम श्रमिक संघ
एक नजर में प्रक्रिया


– 3642 वितरण जीएसएस डिस्कॉम के 10 जिलों में।
– 300 जीएसएस का हर साल इजाफा।
– 2013 में अंतिम बार हुआ यार्ड लाइटिंग का काम।
– 6 एलईडी 70 वाट की प्रत्येक जीएसएस पर लगानी थी।

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