क्यों जरूरी है यार्ड लाइटिंग
जीएसएस पर रात को काम के समय यार्ड लाइटिंग आवश्यक है। फिलहाल अधिकांश जीएसएस परिसर के एक या दो कमरे में ही लाइटिंग होती है। ऐसे में रात को कोई तकनीकी खराबी आने या सम्बंधित क्षेत्र में गड़बड़ी की वजह से बिजली सप्लाई बंद करनी पड़ती है तो टॉर्च का सहारा लेना पड़ता है।
जीएसएस पर रात को काम के समय यार्ड लाइटिंग आवश्यक है। फिलहाल अधिकांश जीएसएस परिसर के एक या दो कमरे में ही लाइटिंग होती है। ऐसे में रात को कोई तकनीकी खराबी आने या सम्बंधित क्षेत्र में गड़बड़ी की वजह से बिजली सप्लाई बंद करनी पड़ती है तो टॉर्च का सहारा लेना पड़ता है।
संघ ने रखी मांग
जोधपुर विद्युत वितरण निगम श्रमिक संघ के कुलदीप सांखला ने बताया कि एमडी के निर्देश के बावजूद काम नहीं होने पर हमने फिर प्रबंधन से यह मांग रखी। अब दीपावली के दिनों अतिरिक्त लोड होने के कारण रात में अंधेरे में काम करने से खतरा बना हुआ है।
जोधपुर विद्युत वितरण निगम श्रमिक संघ के कुलदीप सांखला ने बताया कि एमडी के निर्देश के बावजूद काम नहीं होने पर हमने फिर प्रबंधन से यह मांग रखी। अब दीपावली के दिनों अतिरिक्त लोड होने के कारण रात में अंधेरे में काम करने से खतरा बना हुआ है।
इनका कहना… यार्ड लाइटिंग के लिए प्रस्ताव डिस्कॉम मुख्यालय भेजा था। किसी कारण प्रक्रिया अटक गई। अब आचार संहिता के बाद ही नई स्वीकृतियां व टेंडर हो सकेंगे।
– एस.सी विश्नोई, जोनल मुख्य अभियंता, जोधपुर डिस्कॉम
– एस.सी विश्नोई, जोनल मुख्य अभियंता, जोधपुर डिस्कॉम
तीन-चार साल से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोई खरीद नहीं हो रही है। खुद के स्तर पर रोशनी करते हैं। कर्मचारियों को मरम्मत करते समय खतरा उठाना पड़ता है। – जगदीश दाधीच, प्रदेश संगठन मंत्री, जोधपुर विद्युत वितरण निगम श्रमिक संघ
एक नजर में प्रक्रिया
– 3642 वितरण जीएसएस डिस्कॉम के 10 जिलों में।
– 300 जीएसएस का हर साल इजाफा।
– 2013 में अंतिम बार हुआ यार्ड लाइटिंग का काम।
– 6 एलईडी 70 वाट की प्रत्येक जीएसएस पर लगानी थी।
– 3642 वितरण जीएसएस डिस्कॉम के 10 जिलों में।
– 300 जीएसएस का हर साल इजाफा।
– 2013 में अंतिम बार हुआ यार्ड लाइटिंग का काम।
– 6 एलईडी 70 वाट की प्रत्येक जीएसएस पर लगानी थी।