उसकी कमाई का 40 करोड़ रुपए एमबीएम विवि बनने के बाद बंद हो गया। ऐसे में एमबीएम विवि को ही स्वयं के कार्मिकों की पेंशन का भार उठाना चाहिए। वर्तमान में जेएनवीयू में करीब 1500 पेंशनर्स हैं। इनमें से एमबीएम विवि (तत्कालीन एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज) के 270 कर्मचारी हैं। विवि हर महीने 8 करोड़ रुपए की पेंशन बांटता है। इसमें 1.5 करोड़ से अधिक एमबीएम विवि के कर्मचारियों को जाती है।
100 करोड़ की कमाई, 96 करोड़ पेंशन में
जेएनवीयू को बच्चों की सालाना फीस से करीब 100 करोड़ रुपए की कमाई होती है, जिसमें से 96 करोड़ रुपए पेंशन बांटने मेें ही खर्च होते हैं। शेष वेतन, भत्ते और विवि चलाने के लिए राज्य सरकार से लोन लेकर काम चलाना पड़ता है।
3 साल बाद भी एमबीएम विवि का भवन नहीं बना
बैठक में सदस्यों ने एमबीएम विवि पर नवम्बर 2021 में किए गए एमओयू के उल्लंघन का भी आरोप लगाया। एमओयू के अनुसार एमबीएम विवि को नया भवन बनने तक जेएनवीयू की सम्पत्ति उपयोग में करने की बात कही गई थी, लेकिन 3 साल बाद भी एमबीएम विवि का भवन नहीं बना। उल्टा एमबीएम विवि प्रशासन ने जेएनवीयू की जमीन का ही पट्टा अपने नाम करने की कोशिश की।
इंजीनियरिंग शुरू करेंगे अगले साल, जमीन खाली करो
बैठक में अगले साल जेएनवीयू में फिर से इंजीनियरिंग शुरू करने का निर्णय किया गया। इसके लिए एमबीएम विवि से जमीन खाली करने का कहा जाएगा। यह बात अलग है कि प्रदेश में इंजीनियरिंग की 15 हजार सीटों में एक तिहाई से अधिक सीटें खाली रह गई हैं। खुद एमबीएम विवि में ही दो विभाग में आधी सीटें खाली पड़ी हैं।
एक किलोमीटर में दो विश्वविद्यालय
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने नवम्बर 2021 में जेएनवीयू की इंजीनियरिंग फैकल्टी यानी एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज को अलग करके विवि का दर्जा दे दिया। इसे पेट्रोलियम विवि अथवा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत विकसित करना था, लेकिन राज्य सरकार ने एमबीएम को सामान्य विवि बना दिया। एमबीएम विवि ने भी इस साल आर्ट्स शुरू करने का निर्णय किया है। एक किमी में दो सामान्य विवि संचालित हो रहे हैं।