मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति व न्यायाधीश विनित कुमार माथुर की खंडपीठ ने व्यास विवि की ओर से दायर अपीलें खारिज करते हुए एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा है। एकल पीठ ने 15 से 30 सालों तक संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमित नियुक्ति देने के आदेश जारी किए थे। इसे यूनिवर्सिटी ने खंडपीठ में अपीलों के माध्यम से चुनौती दी।
संविदा कर्मचारियों की ओर से कहा गया कि एकल पीठ के फैसले के बाद कुछ कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया, जबकि अधिकांश के खिलाफ अपीलें दायर की गई हैं। खंडपीठ ने पाया कि कुछ कर्मचारी 1991 से कार्यरत हैं और उनकी सेवाएं संतोषजनक हैं, लेकिन इसके बावजूद यूनिवर्सिटी उन्हें नियमित नहीं कर रही। खंडपीठ ने यूनिवर्सिटी, राज्य सरकार तथा संविदा कर्मचारियों की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं की सुनवाई के पश्चात 10 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एकल पीठ के निर्णय में कोई और असंगतता प्रतीत नहीं होती।
संविदा कर्मचारियों की ओर से कहा गया कि एकल पीठ के फैसले के बाद कुछ कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया, जबकि अधिकांश के खिलाफ अपीलें दायर की गई हैं। खंडपीठ ने पाया कि कुछ कर्मचारी 1991 से कार्यरत हैं और उनकी सेवाएं संतोषजनक हैं, लेकिन इसके बावजूद यूनिवर्सिटी उन्हें नियमित नहीं कर रही। खंडपीठ ने यूनिवर्सिटी, राज्य सरकार तथा संविदा कर्मचारियों की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं की सुनवाई के पश्चात 10 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एकल पीठ के निर्णय में कोई और असंगतता प्रतीत नहीं होती।