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जोधपुर

जंगल से भी बदतर है जोधपुर विकास प्राधिकरण की सबसे बड़ी कॉलोनी के हाल

– जेडीए की अब तक की सबसे बड़ी योजना विवेक विहार के हाल, ३ हजार में से ३० लोग ही रहने आए

जोधपुरJul 10, 2018 / 09:29 pm

Avinash Kewaliya

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– जेडीए की अब तक की सबसे बड़ी योजना विवेक विहार के हाल,

जोधपुर.

जोधपुर विकास प्राधिकरण की अब तक की सबसे बड़ी आवासीय व व्यावसायिक योजना मानी जा रही विवेक विहार योजना लॉन्च हुए सात साल से अधिक हो गए, लेकिन यहां जनता का जुड़ाव अब तक नहीं हो पाया है। तीन हजार से अधिक भूखण्ड आवंटित हुए हैं, लेकिन आज भी कोई अपना भूखण्ड देखने के लिए इस योजना का रुख कर ले तो उसे घंटों मशक्कत करनी पड़ सकती है।
जोधपुर-पाली रोड पर कुड़ी और सांगरिया गांव की ३२ सौ बीघा जमीन पर यह योजना लॉन्च की गई। अपने शुरुआती दौर में इसे सर्व सुविधायुक्त और इस क्षेत्र की पॉश कॉलोनी के रूप में प्रस्तुत किया गया। समय के साथ यहां संस्थानिक क्षेत्र और इंटरनेशन कन्वेंशन सेंटर विकसित करने के प्रयास भी किए गए। लेकिन यह सभी प्रयास कागजों तक और धरातल में बोर्ड लगाने तक सीमित होकर रह गए। हालात यह है कि इस योजना में कागजों में १५ सेक्टर बनाए गए हैं। मौके पर न तो कोई सेक्टर ढूंढ सकता है और ना ही कोई अपना भूखण्ड।
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विवेक विहार योजना
– ०७ साल पहले लॉन्च की गई थी योजना

– ३२ सौ बीघा पर योजना विकसित की गई
– ३ हजार ३०० के करीब आवासीय भूखण्ड आवंटित

– १५ सेक्टर हैं आवासीय
– ०३ विशेष जोन बनाए
– ३० के करीब लोग ही अब तक रहने आए


योजना से सटी बस्तियों में आबादी

खास बात यह है कि इस महत्वकांक्षी योजना से सटे कुड़ी आवासन मंडल के सेक्टर आठ, नौ, सांगरिया गांव और मिनी ग्रोथ सेंटर एेसे हैं जहां आबादी निवास कर रही हैं। इस योजना की सीमा पर कई किलोमीटर तक आवासी बस्तियां दिख जाएंगी। इसके बावजूद इस योजना के प्रति लोगों का रुझान नहीं दिख रहा है।
यह हैं सुविधाओं के हालात
१. पानी – पानी नाम की कोई सुविधा फिलहाल इस योजना में नहीं है। ९ करोड़ की राशि जरूर जेडीए ने जमा करवाई है। यह सुविधा मिलने में अभी कुछ माह और लगेंगे।
२. बिजली – अंडरग्राउंड बिजली की लाइन तो बिछा दी गइ है लेकिन वितरण के लिए ट्रांसफार्मर नहीं लगाए गए हैं। यदि कोई आवंटी रहने का इच्छुक है तो उसे पहले जेडीए को अवगत करवाना होगा। इसके बाद बिजली मिलने की उम्मीद जगेगी।
३. सीवरेज – सीवरेज की मुख्य लाइन तो डाल दी गई है लेकिन भूखण्डों को इस लाइन से जोडऩे के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। जिम्मेदार बताते हैं कि जैसे-जैसे लोग रहेंगे वैसे-वैसे यहां व्यवस्थाएं की जाएगी।
४. सडक़ – मुख्य सडक़ तो बना दी गई, बीच में डिवाइडर भी लगे हैं लेकिन सेक्टर के मध्य सडक़ें जोडऩे वाली सडक़ें गायब हैं। अभी जेडीए यह व्यवस्था करने का प्रयास कर रहा है।
५. संकेतक-मुटाम – इस योजना में कौनसा सेक्टर कहां है और उसमें अपना भूखण्ड पहचानना तक मुश्किल है। रहवासीय मुटाम अधिकांश तो लगे ही नहीं हैं, जहां लगे हैं वह भी सालों पुराने पहचान में नहीं आते। वहीं सेक्टर के लिए संकेतक लगाने का कोई बजट तक प्राधिकरण के पास नहीं है।
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…और ये कह रहे बसाने के कर रहे प्रयास

रहवासीय भूखण्डों के लिए मुटाम पहले से लगे हैं। यदि कोई क्षतिग्रस्त है तो वह दिखवा लेंगे। कॉमर्शियल मुटाम व सडक़ मरम्मत के लिए टैंडर लगाए गए हैं। प्रयास कर रहे हैं कि लोग यहां आकर बसे।
– ज्ञानेश्वर व्यास, अधीक्षण अभियंता, जेडीए जोधपुर

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