बांध का इतिहास
जोधपुर के तत्कालीन शासक जसवंतसिंह राठौड़ (द्वितीय) ने मारवाड़ में तीन बड़े बांध बनाए थे।जिनमें जिले का सबसे बड़ा यह बांध बिलाड़ा कस्बे के निकट पिचियाक गांव के पास 1889 में बनकर तैयार हुआ। इस बांध का जलग्रहण क्षेत्र 1300 वर्ग मील तथा भराव क्षेत्र 3700 एमसीएफटी पानी की है।
जोधपुर के तत्कालीन शासक जसवंतसिंह राठौड़ (द्वितीय) ने मारवाड़ में तीन बड़े बांध बनाए थे।जिनमें जिले का सबसे बड़ा यह बांध बिलाड़ा कस्बे के निकट पिचियाक गांव के पास 1889 में बनकर तैयार हुआ। इस बांध का जलग्रहण क्षेत्र 1300 वर्ग मील तथा भराव क्षेत्र 3700 एमसीएफटी पानी की है।
इस तरह भरता है
जसवंत सागर बांध में अजमेर, पाली जिले के पहाड़ी क्षेत्र एवं बिलाड़ा तहसील के कोसों दूर से पानी आता है। सर्वाधिक पानी अरावली पर्वतमाला के नाग पहाड़ क्षेत्र से चलता हुआ पुष्कर, नांद, गोविंदगढ़, रियां, आलनियावास, लांबिया, कालू, बडू़ंदा, निंबोल पहुंचता है। यह वह स्थान है जहां लीलड़ी नदी का पानी भी मिलता है। यहीं बिराटिया एवं गिरी बांध को भरने वाली नदियों एवं बाळों का संगम होता है।
जसवंत सागर बांध में अजमेर, पाली जिले के पहाड़ी क्षेत्र एवं बिलाड़ा तहसील के कोसों दूर से पानी आता है। सर्वाधिक पानी अरावली पर्वतमाला के नाग पहाड़ क्षेत्र से चलता हुआ पुष्कर, नांद, गोविंदगढ़, रियां, आलनियावास, लांबिया, कालू, बडू़ंदा, निंबोल पहुंचता है। यह वह स्थान है जहां लीलड़ी नदी का पानी भी मिलता है। यहीं बिराटिया एवं गिरी बांध को भरने वाली नदियों एवं बाळों का संगम होता है।
बांध में आकर मिलने वाले पानी का एक बड़ा हिस्सा बिराटिया नदी का है। यहां बने बिराटिया बांध जिसकी चादर का पानी बिराटिया खुर्द, रामेदव मेले स्थल से होता हुआ धूलकोट, हाजीवास गांवों के उत्तर में बहता लीलड़ी में शामिल हो जाता है। तीनों नदियों का पानी बहता हुआ आसरलाई, पीपलियां, बांजाकुड़ी, बिरोल होते हुए निंबोल के पास होने वाले संगम में मिल जाता है।
बांध के भरने की स्थिति
वर्ष 2007 में जसवंत सागर बांध भरा था , उसी वर्ष बांध की एक पाळ टूटने से सारा पानी खाली हो गया। 2008 में जसवंत सागर बांध की पाळ की मरम्मत के बाद अब तक के 11 वर्षों में एक बार भी यह बांध नहीं भरा । कभी मामूली पानी आया भी तो बांध में खुदे नलकूपों के माध्यम से यह जल राशि भूमिगत हो गई।
वर्ष 2007 में जसवंत सागर बांध भरा था , उसी वर्ष बांध की एक पाळ टूटने से सारा पानी खाली हो गया। 2008 में जसवंत सागर बांध की पाळ की मरम्मत के बाद अब तक के 11 वर्षों में एक बार भी यह बांध नहीं भरा । कभी मामूली पानी आया भी तो बांध में खुदे नलकूपों के माध्यम से यह जल राशि भूमिगत हो गई।
पहले बांध में पानी भरता था तो कई-कई महीनों तक बांध में पानी ठहरता था तथा सिंचाई विभाग इस इस जल राशि को बांध के कमांड क्षेत्र के तेरह गांवों के किसानों को खेती के लिए पानी छोड़ता था जिससे विभाग को भी आमदनी होती थी तथा किसानों को भी कम खर्च में अच्छी उपज मिलती थी।