आइआइटी जोधपुर में स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स के सहायक प्रो. डॉ. आलोक रंजन के साथ इस शोध में डॉ. समीर गर्ग शोध के प्राथमिक लेखक और राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र, छत्तीसगढ़ के कार्यकारी निदेशक, एसएचआरसी के वरिष्ठ कार्यक्रम समन्वयक नारायण त्रिपाठी और एसएचआरसी के प्रोग्राम एसोसिएट कीर्ति कुमार भी शामिल हैं। इस शोध के परिणाम एक अंतरर्राष्ट्रीय पत्रिका हेल्थ इकोनॉमिक्स रिव्यू जर्नल में प्रकाशित किए गए।
कुछ ऐसे आता है खर्च – 2833 रुपए प्रतिदिन भारत के सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीज के इलाज पर खर्च आता है।- 6788 रुपए खर्च प्रतिदिन निजी अस्पतालों में उसी बीमारी का खर्च आता है।
– 64 अस्पतालों में यह सर्वे राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र के सहयोग से पूरे राज्य में किया गया। बड़ा बदलाव लाएगा शोध की अहमियत बताते हुए डॉ. आलोक रंजन ने कहा कि भारत के निजी अस्पतालों की तुलना में सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीज के इलाज का खर्च बहुत किफायती है। देश को सरकारी अस्पतालों में निवेश करना अत्यावश्यक है क्योंकि निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा महंगी पड़ रही है। यह शोध भारत में जन-जन तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने का रोड मैप बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह एक अपूर्व अध्ययन है, जिसके तहत देश के अंदर अस्पताल में भर्ती किसी एक मरीज की स्वास्थ्य सेवा पर सरकारी और निजी अस्पताल के खर्चों का तुलनात्मक आकलन किया गया है।