कोरोना वायरस यानी सार्स सीओवी-2 नाक व मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। यह मस्तिष्क कोशिका न्यूरोन में एचएसीई-2 रिसेप्टर के सम्पर्क में आता है और उसे संक्रमित कर देता है। यही रिसेप्टर फेफड़ों की झिल्ली में भी होता है। कोरोना वायरस के फेफड़ों में संक्रमण से न्यूमोनिया होता है जबकि मस्तिष्क के पिछले भाग मैड्यूला आब्लागेटा के संक्रमित होने पर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। मैड्यूला आब्लागेटा ह्रदय व श्वसन दर को नियंत्रित करती है।
पार्र्किंसन सहित अन्य मस्तिष्क रोग से पीडि़त रोगियों को कोरोना वायरस से खतरा है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को भी संक्रमित करता है। इसके अलावा श्वसन रोग से पीडि़त व्यक्ति भी सावधानी बरतें। हमारा यह रिसर्च लोगों में जागरुकता पैदा करने के लिए है।
– प्रो. सुरजीत घोष, बायो साइंस विभाग, आइआइटी जोधपुर