ऐसा ड्रोन बनाने की प्रेरणा एन्हिंगा पक्षी से मिली है, जो हवा में उड़ने के साथ अचानक पानी में गोता लगाता है। गौरतलब है कि वर्तमान ड्रोन केवल हवा में ही उड़ान भरते हैं। हवा में उड़ने और पानी में चलने की तकनीक वर्तमान में अमरीका और चीन जैसे देशों के पास है। ऐसे में तीनों आईआईटीज का यह ड्रोन भारतीय सेना के साथ बचाव राहत अभियानों, समु़द्र तटों पर तेल रिसाव जैसे मामलों में मील का पत्थर साबित होगा।
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अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पेश किया
यह शोध आईआईटी जोधपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जयंत कुमार मोहंता व उनके शोधार्थी जय खत्री, आईआईटी कानपुर के प्रो संदीप गुप्ता और आईआईटी पलक्कड़ के प्रो संतकुमार मोहन ने किया। उन्होंने अपना ड्रोन एआईआर 23: रोबोटिक्स में प्रगति पर 2023 के छठे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पेश किया था।
ड्रोन की बॉडी पनडुब्बी जैसी है। इसकी मोटर पानी के अंदर बेहतरीन काम कर रही है। अधिक उत्प्लावन बल के लिए अब अंतिम प्रोटोटाइप पर काम चल रहा है।
डॉ जयंत कुमार मोहंता, प्रोफेसर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी जोधपुर