गौरतलब है कि मनरेगा योजना में घोटाला करते हुए पंचायत में कार्यरत ग्रामसेवक, सरपंच व अन्य कर्मचारियों की कथित मिलीभगत से गांव के कई मृत लोगों के मनरेगा जॉब कार्ड से आवेदन कर दिए थे।
मामले को राजस्थान पत्रिका में 3 अगस्त के अंक में ‘मृतक भी कर रहे मनरेगा में मजदूरीÓ शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रकाशित करते हुए सरकारी सिस्टम की पोल खोली। नरेगा के ऐसे प्रकरण में ग्रामसेवक व सरपंच की भूमिका पर सवाल खड़े होते है, क्योंकि इनकी निगरानी में मनरेगा कार्य होते है।
इस गंभीर प्रकरण में पंचायत समिति की जांच रिपोर्ट में मानवीय भूल से डिमांड होना पाया। समिति की जांच रिपोर्ट में पाया कि भूलवश मृत नाम पर नरेगा में आवेदन करने के बाद पंचायत समिति द्वारा खाली मस्टररोल जमा कर दिए। उन्हें कोई भुगतान नहीं किया है।
हालांकि बालेसर बीडीओ बाबूसिंह राजपूरोहित ने पत्रिका को बताया कि प्रकरण की जांच रिपोर्ट सीइओ को भेजी है। गुरुवार तक मामले में दोषी कार्मिक के विरुद्ध मनरेगा एक्ट के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई या नोटिस देने को लेकर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
जॉब कार्ड अपडेट करने के निर्देश मृत लोगों के मनरेगा में आवेदन करने के प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए बालेसर पंचायत समिति ने ब्लॉक के समस्त ग्राम विकास अधिकारियों, कनिष्ठ सहायकों व रोजगार सहायकों को निर्देशित करते हुए अपडेट करने के सख्त आदेश दिए है।
बीडीओ ने कहा कि ग्राम पंचायतों में मृत व्यक्तियों, नाबालिग, फर्जी जॉब कार्ड, डबल जॉब कार्ड के श्रमिकों को चिह्नित कर नरेगा सॉफ्ट से हटाने की कार्रवाई के निर्देश जारी किए है। वहीं श्रमिकों के बैंक खातों को जांच को लेकर भी सख्ती बरतने के निर्देश दिए है।
अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी देवगढ में मृत लोगों के नाम मनरेगा में दर्ज करना गंभीर प्रकरण है। बालेसर बीडीओ से 30-35 पेज की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है। रिपोर्ट पर मंथन करके जल्द अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. इंद्रजीत यादव, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद जोधपुर