ऐसे समझिए गणित
राजस्थान में ग्वार फली का प्रोडक्शन सबसे ज्यादा होता है, लेकिन किसान यहां बेचने की बजाय ग्वार को पड़ोसी राज्यों में बेचना पसंद करते हैं। इसका कारण है यहां कृषि मडी टैक्स 1.6 प्रतिशत और कृषि सेस 1 प्रतिशत लगता है। यानि कुल उत्पादन पर 2.6 प्रतिशत किसानों को देना होता है। अभी ग्वार का भाव 5400 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। ऐसे में किसानों को 140 रुपए अतिरिक्त चुकाने होते हैं। जबकि पड़ोसी राज्य गुजरात व हरियाणा में ऐसा कोई टैक्स नहीं है। इसीलिए वह फसल वहां बेचते हैं। यहां लगी ग्वार स्पिलट की इकाइयों को कच्चा माल उपलब्ध नहीं हो पाता। यही कारण है कि ग्वार स्पिलट व चूरी-कोरम की इकाइयां राजस्थान से पलायन कर अन्य राज्यों में जा रही है।दो प्रकार की ग्वार इकाइयां
- ग्वार फली के बीच से स्प्लिट यानि उसे दो टुकड़ों में तोड़ कर बनाने वाली और इसके बाद चूरी व कोरमा बनाने वाली इकाइयां संचालित होती है। पहले इनकी संख्या 100 से ज्यादा थी जो कि अब 5 से 7 ही बची है।
- ग्वार स्प्लिट से पाउडर बनाने वाली इकाइयां हैं। यह पाउडर वर्तमान में एक्सपोर्ट भी होता है। जोधपुर में ऐसी अभी 20 के करीब इकाइयां ही बची है।
हजारों लोगों का रोजगार छीना
- 100 से इकाइयां अब 5 पर आ गई।
- 20 हजार लोगों का रोजगार 500 पर आ गया।
- 20 हजार से अधिक किसान अपनी फसल को लेकर।
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