नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) जोधपुर ने साढ़े छह माह पहले झालामण्ड बाइपास और गुड़ाबिश्नोइयान गांव में 169 पैकेट में भरा 865 किलो गांजा जब्त करने के मामले में फरार सरगना को गिरफ्तार कर लिया। उसी के मार्फत आइआइटी जोधपुर, एनएलयू, एम्स, एनआइएफटी और अन्य उच्च श्रेणी की शिक्षण संस्थाओं के आस-पास गांजा की सप्लाई की जा रही थी। अब तक छह आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं और दो-तीन आरोपी अभी भी फरार है।
एसीबी के क्षेत्रीय निदेशक घनश्याम सोनी ने बताया कि ऑपरेशन शंकर के तहत गत 23 मई को झालामण्ड बाइपास पर बोलेरो पिकअप से गांजा से भरे 71 पैकेट जब्त कर अनिल को गिरफ्तार किया गया था। उससे पूछताछ के बाद गुड़ाबिश्नोइयान गांव में भागीरथ बिश्नोई के मकान से 5-5 किलो गांजा से भरे 99 पैकेट जब्त किए गए थे। इनमें 865 किलो गांजा जब्त किया गया था। तब से वह फरार हो गया था। मेहराम ने यह गांजा ओडिशा से भेजा था। इसकी लागत बाजार में 4.30 करोड़ रुपए आंकी गई थी।
मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर एनसीबी ने तलाश के बाद विनायकपुरा भवाद निवासी मेहराम (39) पुत्र मांगीलाल बिश्नोई को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ की जा रही है।
एनसीबी ने 23 मई को अनिल कुमार व गुमान गहलोत, 25 मई को नरेन्द्र, 13 सितम्बर बलदेव उर्फ बंटी गहलोत, 22 अक्टूबर को भागीरथ बिश्नोई और अब मेहराम को गिरफ्तार किया। राकेश सांई उर्फ रॉकी व ओडिशा का साऊ अभी तक वांछित हैं।
ओडिशा व जोधपुर के तस्करों में किंग पिन है मेहराम
एनसीबी का कहना है कि मेहराम ओडिशा में ही काम करता है। वह ओडिशा के गांजा सप्लायर साऊ और जोधपुर के ड्रग्स पेडलरों के बीच की कड़ी है। उसी ने गत मई में 865 किलो गांजा खरीदा था। बदले में मेहराम ने ही स्थानीय तस्कर को 8.50 लाख रुपए अग्रिम दिए थे। शेष राशि गांजा बिकने पर दी जानी थी। फिर यह खेप रकेश सांई उर्फ रॉकी और बलदेव उर्फ बंटी गहलोत के साथ बोलेरो पिकअप में जोधपुर भेजी थी।
मारवाड़ में ओडिशा के गांजे की जड़ें जमाईं
सरगना मेहराम से पूछताछ में सामने आया कि उसके खिलाफ मारपीट और मार्च में अवैध गांजा तस्करी का मामला दर्ज हो रखा है। करवड़ थाना पुलिस ने गांव में बाड़े से दो सौ किलो गांजा जब्त किया गया था। उसी ने उड़ीसामेसाऊ नामक व्यक्ति से गांजा खरीदा था और फिर जोधपुर में आइआइटी, एनएलयू, एनआइएफटी, एम्स जोधपुर के आस-पास विद्यार्थियों के लिए नशे की खेप भेजनी शुरू की।
20 साल में बनाया नेटवर्क
एनसीबी का कहना है कि मेहराम वर्ष 2004 में मजदूरी करने ओडिशा गया था। दो साल तक वह रोटी बनाकर मजदूरी कर रहा। वर्ष 2006 में उसने ट्रैक्टर खरीद लिया था। वर्ष 2007 व 2008 में दो-दो ट्रैक्टर और खरीद लिए थे। इसके बाद उसने पौकलैण्ड मशीन भी खरीद थी। फिर गांव में जमीन खरीद की थी। वह ओडिशा में गांजा सप्लायरों के सम्पर्क में आ गया था। वह राकेश व बलदेव और गांजा आपूर्तिकर्ता में भागीदार बन गया था।