इस शोध के लिए 80 कोरोना संक्रमित मरीजों को चुना गया। इसमें से केवल 40 मरीजों को केवल हाइड्रोक्लोरोक्विन दवा दी गई। इसके बाद शेष 40 मरीजों में, 20 को आइवरमैक्टिन व 20 को हाइड्रोक्लोरोक्विन दवा दी गई। ये वे मरीज थे, जिनमें कोरोना संक्रमण ज्यादा था। ऐसे में रिकवरी दर हाइड्रोक्लोरोक्विन की ज्यादा रही। जबकि सार ये निकला कि आइवरमैक्टिन दवा देने से कोई फायदा नहीं है। इसके विपरीत मरीजों को दूसरे साइड इफैक्ट होने का खतरा भी रहा।
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. जीएल मीणा की अनुमति से प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर सीनियर प्रोफेसर डॉ. नवीन किशोरिया, मेडिसिन के एचओडी डॉ. श्यामलाल माथुर, सहायक आचार्य डॉ. हरिश अग्रवाल, सहायक आचार्य डॉ. वीरम परमार व रेजिडेंट डॉ. सोमिल साथ रहे। इस शोध अध्ययन को नेशनल व इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशित करने भेजा जाएगा। बता दें कि ब्रिटिश मेडिकल जनरल में कुछ दिन पूर्व चीन के चिकित्सकों ने शोध में एचसीक्यू दवा को बेअसर बताया था। जबकि जोधपुर में ये दवा असरकारी साबित हो रही है।