फिल्म मेकर तरुण ने अपनी जर्नी के बारे में बताया कि उन्हें शुरू से ही फोटोग्राफी का शौक रहा है। विषय पर अधिक पकड़ बनाने के लिए उन्होंने बेंगलूरु से मल्टीमीडिया टेक्नोलॉजी विषय में एमएससी की डिग्री प्राप्त की। इस दौरान दिलचस्पी सिनेमैटोग्राफी में बढऩे लगी। पढ़ाई के दौरान उन्होंने कठपुतली शीर्षक से एक शॉर्ट फिल्म का निर्माण किया। फिल्म फेस्ट में इस फिल्म को प्रथम पुरस्कार मिला। इससे फिल्म मेकिंग के क्षेत्र में आगे बढऩे का हौसला मिला। कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री से जुडकऱ वह मुख्यधारा की फिल्मों में सहयोग करने लगे। वर्तमान में वह राजस्थानी पृष्ठभूमि पर बच्चों के लिए एक फिल्म का निर्माण कर रहे हैं। जिसकी शूटिंग प्रदेश के कई स्थानों पर की जा रही है। यह उनकी पहली फीचर फिल्म होगी।
राजस्थानी फिल्मों में तकनीक की कमी
साउथ फिल्म इंडस्ट्री के विस्तार पर उन्होंने बताया कि वहां स्थानीयता को खासा महत्व दिया जाता है। दक्षिण में विभिन्न प्रांत की अपनी भाषा होने के कारण उनका दर्शक वर्ग भी विशिष्ट है। वहीं राजस्थानी फिल्म इंडस्ट्री इस दौड़ में काफी पीछे नजर आती है। यहां फिल्म मेकिंग और तकनीक को लेकर जागरुकता की कमी है। तरुण के पिता घनश्याम शर्मा पशुआहार विभाग से सेवानिवृत अधिकारी हैं, माता सीमा शर्मा गृहिणी हैं।