ऑलआउट की तरह कमरे में लगा सकेंगे डिवाइस को
आइआइटी जोधपुर ने डिवाइस का नाम कोल्ड प्लाज्मा डिटरजेंट इन एनवायरमेंट (कोड) रखा है। यह आठ इंच का है जो मच्छर मारने की दवा ऑल आउट की तरह काम करेगा। इसमें निकले आयन 25 सैकेण्ड तक हवा में रहेंगे। परीक्षण में 95 से 99 प्रतिशत तक बैक्टिरिया व वायरस खत्म हो गए। डॉक्टरों भी कोरोना से बचने के लिए हाथों को साबुन से कम से कम बीस सैकेण्ड धोने के लिए कहते हैं ताकि रोगकारक की कोशिका भित्ती तोडकऱ उसके खत्म किया जा सके। कोड में लगातार आयन बनते रहेंगे।
आइआइटी जोधपुर ने डिवाइस का नाम कोल्ड प्लाज्मा डिटरजेंट इन एनवायरमेंट (कोड) रखा है। यह आठ इंच का है जो मच्छर मारने की दवा ऑल आउट की तरह काम करेगा। इसमें निकले आयन 25 सैकेण्ड तक हवा में रहेंगे। परीक्षण में 95 से 99 प्रतिशत तक बैक्टिरिया व वायरस खत्म हो गए। डॉक्टरों भी कोरोना से बचने के लिए हाथों को साबुन से कम से कम बीस सैकेण्ड धोने के लिए कहते हैं ताकि रोगकारक की कोशिका भित्ती तोडकऱ उसके खत्म किया जा सके। कोड में लगातार आयन बनते रहेंगे।
दफ्तरों में काम करने से डर रहे लोग, मिलेगी मुक्ति
वर्तमान में कोरोना की वजह से बंद इमारतों यानी दफ्तरों में काम करने से लोग डर रहे हैं क्योंकि बंद कमरों में वायरस की सांद्र्रता अधिक होती है। कोरोना काल में बंद इमारतों, एसी कमरों में कई लोग कोरोना की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। आइआइटी का कोड कोरोना का कम करने में सहयोग करेगा। ऐसे में कोरोना काल में सुरक्षित तौर पर दफ्तरों में काम किया जा सकेगा।
वर्तमान में कोरोना की वजह से बंद इमारतों यानी दफ्तरों में काम करने से लोग डर रहे हैं क्योंकि बंद कमरों में वायरस की सांद्र्रता अधिक होती है। कोरोना काल में बंद इमारतों, एसी कमरों में कई लोग कोरोना की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। आइआइटी का कोड कोरोना का कम करने में सहयोग करेगा। ऐसे में कोरोना काल में सुरक्षित तौर पर दफ्तरों में काम किया जा सकेगा।
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‘हमने कोल्ड प्लाज्मा टेक्नोलॉजी से एक तरह का डिटरजेंट तैयार किया है जो हवा में मौजूद सभी तरह के वायरस, बैक्टिरया और फंगस को मारने में सक्षम है। कोरोना में यह बड़ा मददगार साबित होगा।’
-डॉ शांतनु चौधरी, निदेशक, आइआइटी जोधपुर
‘हमने कोल्ड प्लाज्मा टेक्नोलॉजी से एक तरह का डिटरजेंट तैयार किया है जो हवा में मौजूद सभी तरह के वायरस, बैक्टिरया और फंगस को मारने में सक्षम है। कोरोना में यह बड़ा मददगार साबित होगा।’
-डॉ शांतनु चौधरी, निदेशक, आइआइटी जोधपुर