IMD Rain Alert: इस दिन लौट कर आने वाला है मानसून, शुरु होगा झमाझम बारिश का दौर, नया अपडेट जारी
इस बार भोपालगढ़ क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में बिपरजॉय तूफान से पहले एवं बाद में समय-समय पर हुई बारिश के चलते किसानों ने व्यापक पैमाने पर सावणी फसलों की खेती की है। बुवाई समय पर हो जाने के बाद बार-बार बारिश होने से इस बार न केवल ये फसलें अच्छी तरह से पनपी, बल्कि इनकी बढ़वार भी काफी अच्छी रही। फिलहाल खेतों में मूंग, मोठ, बाजरा, तिल व ग्वार की फसल हो रही है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से बारिश नहीं होने के कारण अब ये श्रावणी फसलें तेज धूप की वजह से जलने के कगार पर आ गई हैं। भोपालगढ़ समेत क्षेत्र के ओस्तरां, हीरादेसर, रुदिया, मैलाणा, नाड़सर, रजलानी, आसोप, गारासनी, दाड़मी, रामपुरा, शिवनाथ नगर, बासनी बुद्धा, देवनगर, छापला, धोरु, कुड़ी, बागोरिया, अरटिया, देवातड़ा व बुड़किया समेत अधिकांश गांवों में कमोबेश ऐसे ही हालात बने हुए हैं।
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बिना बारिश दवा भी घातक रोगों से बचाव के लिए कई किसानों ने तीन-तीन बार रासायनिक दवाओं का छिड़काव भी कर दिया। लेकिन बिना बारिश के अब किसान और दवा के उपयोग का जोखिम भी नहीं ले रहे। ऐसा करने पर यह दवा फसल का भी नुकसान कर सकती है। किसानों ने अब तक प्रति हेक्टेयर करीब 10 से 15 हजार रुपए खर्च कर दिए हैं। अगले कुछ दिन तक भी बारिश नहीं हुई तो फसले जलने से किसानों की बनी-बनाई तकदीर पर पानी फिर सकता है। खासकर मूंग की फसल में फली छेदक लटों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। कुछेक जगह आगत बुवाई वाली फसलों में फलियां तो बन रही हैं, लेकिन इनमें लटों ने इतने छेद कर दिए हैं कि फलियां ’बांसुरी’ जैसी नजर आने लगी हैं।कर्ज तले दब जाएंगे किसान सावणी फसलों से उपज की उम्मीद कम होती जा रही है। इस खेती पर हजारों रुपए खर्च करने वाले किसान कर्ज के बोझ तले दब जाएंगे। – महिपाल जाखड़, किसान, गारासनी
फसल बुवाई (हैक्टेयर में) बाजरा 28000 मूंग 32000 ग्वार 2500 ज्वार 500 तिल 300 कपास 4500 कुल बुवाई 68300