क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में इस बार खरीफ फसलों की बुवाई के समय एकाध बार ही ढंग की बारिश होने से अधिकांश गांवों में व्यापक स्तर पर बुवाई तो हो सकी और फिर जरुरत के लिहाज से बारिश नहीं होने के कारण आशानुरुप फसलें नहीं पनप पाई।
इससे इस बार बाजरा, मूंग, मोठ व तिल आदि का रकबा भी कम ही रहा और खेतों में सावणी फसलें भी कम नजर आई। साथ ही मूंग की तो गांवों में व्यापक पैमाने पर बुवाई की गई और समर्थन मूल्य बढ़ाने के बाद किसानों ने मूंग की अच्छी-खासी रकबे में बुवाई भी की। लेकिन शुरुआती दौर में ही बारिश कम होने से सावणी फसलों का उगाव भी नहीं हो पाया। इससे किसानों की उम्मीदें डगमगाने लगी।
यहां तक कि अधिकांश इलाकों में इस बार फसलें कमजोर ही रह गई। इस दरम्यान आखिर में ‘झोला’ (गरम हवा) लगने से इन फसलों से उपज की थोड़ी-बहुत उम्मीदें भी झुलस गई। लेकिन बावजूद इसके खेतों में जैसी-तैसी खड़ी सावणी फसलों को अब किसानों ने बीते दिनों से ही समेटने का काम शुरु कर दिया है। अधिकांश गांवों में अलसुबह ही किसान खेतों में पहुंचकर सावणी फसलों को काटने व समेटने में जुट जाते हैं।
‘जमाना’ खराब होने की आशंका
खरीफ की फसलों और उपज के लिहाज से किसानों के लिए इस बार बीते कुछ बरसों के मुकाबले ‘जमाना’ अच्छा नहीं कहा जा सकता है और इस कारण किसानों के यहां न केवल घर के लायक, बल्कि बाजारों में बेचकर जेब भारी करने लायक अनाज होने की तो उम्मीद ही नहीं है।
हालत यह है, कि इस बार तो क्षेत्र के अधिकांश ग्रामीण इलाकों के किसानों के लिए अपनी उपज लेकर बाजारों में बेचने के लिए जाने का काम ही नहीं रहा और न ही बाजारों में ले जाने लायक उपज ही आई है।
मूंगफली की फसल को समेटने में लगे किसान देणोक. कस्बे सहित आस-पास के गांवों में के किसान इन दिनों अपने कृषि कुओं पर खड़ी मूंगफली की फसल समेटने में जुटे हुए है। किसान केशुराम मायला, प्रेमाराम चौधरी एवं चुतराराम मायला ने बताया कि क्षेत्र में इस बार अगस्त में बारिश कम होने व कुछ क्षेत्रों में मूंगफली की फसलों में गोजा लट के प्रकोप से किसानों को अपनी उम्मीद से कई गुणा कम पैदावार मिलेगी। किसानों ने बताया कि किसान खड़ी फसल को समय पर निकालकर उसकी शुरूआती कीमत लेने के चक्कर में दिनरात एक करके फसल को समेटने में जुटे हुए है।