सुखोई ने एस्कॉर्ट करते हुए दी विदाई
उत्तरलाई एयरफोर्स स्टेशन पर सोमवार को आयोजित समारोह में मिग-21 बायसन को विदाई दी गई। लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई ने विदाई समारोह में मिग-21 विमानों के साथ उड़ान भरकर उनको सम्मानित किया।
बाड़मेर में मिग-21 की स्क्वॉड्रन का नाम ऑरियल्स था जो 1966 से सेवा में थी। ऑरियल्स स्क्वॉड्रन में अब मिग-21 का स्थान सुखोई लेंगे यानी पश्चिमी मोर्चे पर पहली बार इतने नजदीक सुखोई-30 विमानों की तैनाती होगी।
उड़त ताबूत कहा जाता है
भारतीय वायुसेना के पास मिग-21 श्रेणी के 872 विमानों का बेड़ा था, जिसमें करीब 500 विमान क्रेश हो चुके हैं जिसमें से 172 पायलट की जान जा चुकी है। इसमें 39 आम नागरिक भी थे। इसकी कारण इनको उड़न ताबूत कहा जाने लगा। मिग-21 के अपडेटेड वर्जन को बायसन कहा गया।
चीन से 1962 में युद्ध के बाद भारतीय वायुसेना ने अगले ही वर्ष रुस से मिग-21 विमान खरीदे। सिंगल इंजन जेट इस विमान की टेक्नोलॉजी रुस ने ङ्क्षहदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को दे दी और बाद में भारत में इनका उत्पादन शुरू किया। वर्ष 1971 की लड़ाई में जोधपुर से मिग-21 उड़े थे और पाकिस्तानी टैंकरों को नेस्तानाबूद किया था। चालीस साल तक जोधपुर में मिग-21 की कई स्क्वॉड्रन रही। 2017 में एकमात्र बची स्क्वॉड्रन को बाड़मेर शिफ्ट कर दिया, जहां सोमवार को इसकी विदाई हो गई।