परीक्षा केंद्र में सुबह की पारी 7 से 10 बजे में एलएलबी अंतिम वर्ष का पर्चा था। परीक्षा केंद्र के कमरा संख्या 10 से 12 में बने हॉल में तीन सौ से अधिक परीक्षार्थी थे। उसमें दस से अधिक वीक्षक ड्यूटी दे रहे थे। परीक्षा शुरू होने के कुछ देर बाद वीक्षकों का नाश्ता आना शुरू हो गया। समोसा व चाय पार्टी के साथ गपशप का दौर चला। इससे परीक्षार्थियों का ध्यान भंग हो रहा था। एक महिला परीक्षार्थी ने परीक्षा खत्म होने के बाद वाणिज्य संकाय के डीन प्रो. बोहरा को लिखित में शिकायत दी। शिकायत रजिस्ट्रार और कुलपति के नाम से भी थी। प्रो. बोहरा ने परीक्षार्थी से समझाइश कर आगे से शांति बनाए रखने का आश्वासन दिया।
परीक्षार्थी ने यह लिखा शिकायत में परीक्षार्थी ने कुलपति, रजिस्ट्रार व डीन को संबोधित करते हुए अंग्रेजी में लिखा- परीक्षा केंद्र में जिस डेकोरम की जरूरत है, वह नहीं था। इनविजिलेटर्स आपस में डिसक्शन, डिबेट बहुत ऊंची आवाज में कर रहे थे। इससे हमारा ध्यान भंग हो रहा था। हमने कई बार शोर नहीं करने की प्रार्थना भी की, लेकिन वे नहीं माने। ऐसा लग रहा था जैसे हम मच्छी बाजार में परीक्षा दे रहे हैं। मेरा आपसे निवेदन है कि इस संबंध में उचित कार्रवाई करें।
आगे से नहीं होगा, मैंने समझा दिया छात्रा की मुझे लिखित शिकायत मिली थी। मैंने सभी बैठक लेकर उन्हें समझा दिया है। आगे से परीक्षा केंद्र में शांति बनी रहेगी।
प्रो. जसराज बोहरा, डीन, वाणिज्य संकाय, जेएनवीयू जोधपुर चाय-पानी ठीक पर शोरगुल क्यूं
कई बार परीक्षक लंबी परीक्षा ड्यूटी देता है। ऐसे में वह अपने खर्चें से चाय-पानी व अन्य व्यवस्था करता है जो ठीक है, लेकिन परीक्षा केंद्र में शोरगुल करना और परीक्षार्थियों को डिस्टर्ब करना उचित नहीं है। वैसे इनविजिलेटर्स को परीक्षा कक्ष में ड्यूटी देने के 140 रुपए और साथ में आने-जाने का भत्ता मिलता है।
कई बार परीक्षक लंबी परीक्षा ड्यूटी देता है। ऐसे में वह अपने खर्चें से चाय-पानी व अन्य व्यवस्था करता है जो ठीक है, लेकिन परीक्षा केंद्र में शोरगुल करना और परीक्षार्थियों को डिस्टर्ब करना उचित नहीं है। वैसे इनविजिलेटर्स को परीक्षा कक्ष में ड्यूटी देने के 140 रुपए और साथ में आने-जाने का भत्ता मिलता है।
प्रो. जैताराम बिश्नोई, परीक्षा नियंत्रक, जेएनवीयू, जोधपुर