जानकारों की मानें तो मौसम तंत्र में आ रहा बदलाव फलोदी जिला क्षेत्र में खड़ी रबी की फसल की उत्पादकता को प्रभावित कर सकता है। हालात यह है कि इस सीजन में पहले तापमान की अधिकता के कारण बुवाई में देरी हुई और अब तापमान में गिरावट के साथ वातावरण में 70 से 75 प्रतिशत तक आर्द्रता के चलते रबी की फसल में लट व कीटों का प्रकोप बढ़ने की सम्भावना बढ़ गई है।
दिन में चटख धूप और रात में बढ़ रही आद्रता से जीरा में झुलसा रोग की आशंका को बढ़ा दिया है। ऐसे में किसानों को सजग रहकर आवश्यक उपाय करने की सलाह दी जा रही है।
1.45 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुवाई
गौरतलब है कि फलोदी जिले में इस रबी सीजन में तीन लाख 47 हजार 790 हेक्टयर में रबी की फसल की बुवाई की गई है। जिसमें एक लाख 45 हजार 500 हेक्टयर में जीरा की बुवाई की गई है, जो कुल रबी की बुवाई का 41 प्रतिशत से अधिक है। ऐसे में मौसम की बदल रही रंगत से किसानों की चिन्ता को बढ़ा सकती है। हालांकि वर्तमान मौसम की परस्थितियों से पाले की आशंका से मुक्ति मिल गई है, लेकिन वातावरण में बढ़ रही आर्द्रता ने किसानों की चिन्ता को बढ़ा दिया है।
जीरे में बढ़ रहा झुलसा रोग
जानकारों की मानें तो बदल रहे मौसम के चलते जीरा की फसल में झुलसा रोग व छाछया रोग की चपेट में आने की आशंका बढ़ गई है, जिसके प्रबंधन के लिए विशेषज्ञों ने कीट प्रबंधन के उपाय करने की सलाह दी है। यह वीडियो भी देखें
किसानों को सजग रहने की जरूरत
मौसम में लगातार हो रहे बदलाव, तापमान की अस्थिरता के साथ रात में बढ़ रही आद्रर्ता से जीरा में झुलसा रोग की आशंका बढ़ रही है। जिससे फसल की उत्पादकता प्रभावित होने और जीरा का रंग काला पड़ने की सम्भावना है। किसान फसल पर नियमित तौर पर नजर रखकर, पत्तियों की स्थिति को परखते हुए फसल बचाव के आवश्यक उपाय करने चाहिए।- जगदीशचन्द्र मेघवंशी, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार, फलोदी
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