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43 डिग्री पार चल रहा पारापक्षी विशेषज्ञों की मानें तो सायबेरियन बर्ड के लिए भारत की आबोहवा सर्वाधिक सुरक्षित है, लेकिन यहां तापमान की अधिकता के कारण वह मंगोलिया व रशिया की ओर वापसी कर लेती है। ऐसे में अभी फलोदी सहित पश्चिमी राजस्थान में तापमान 43 डिग्री के पार पहुंच गया है, जबकि कुरजां 30 डिग्री तापमान से अधिक होने के साथ ही वापसी शुरू कर देती है, ऐसे में सितम्बर में बढ़ रहा तापमान कुरजां के आगमन के इंतजार को बढ़ा रहा है। जानकारों की माने तो दिन का तापमान 30 डिग्री व रात का 15 डिग्री से कम होने पर ही कुरजां जमीन पर उतरेगी। वर्तमान तापमान साबेरियन बर्ड के आगमन में देरी का सबसे बड़ा कारण है।
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अफगानिस्तान से आया छोटा दलगौरतलब है कि बीकानेर के गजनेर में कुरजां का एक दल आने के कयास थे, जिसके फलोदी के खीचन पहुंचने के भी दावे थे, लेकिन यहां तापमान अधिक होने से यह दल जोधपुर के रास्ते पाली या बाड़मेर के रास्ते गुजरात की ओर चला गया। गर्मी अधिक होने से कुरजां जमीन पर नहीं उतरी। जिससे सायबेरियन बर्ड का पक्षीप्रेमियों का इंतजार पूरा नहीं हो पा रहा। विशेषज्ञों की माने तो तापमान की अधिकता के चलते कुरजां जमीन पर नहीं उतरी और जोधपुर से होकर बाड़मेर के रास्ते गुजरात की ओर जा सकती है।
इस तापमान में नहीं उतरेगी जमीन पर
सायबेरियन बर्ड के आने में इस बार देरी हो रही है, जिसका सबसे अधिक कारण मौसम व तापमान की परिस्थितयां है। तापमान जब तक कम नहीं होगा, तब तक कुरजां का खीचन व आसपास के क्षेत्र में आगमन नहीं हो पाएगा।
– डॉ. दाऊलाल बोहरा, सदस्य आईएफसीएन रिसर्च ग्रुप