घर-परिवार की खुशहाली व समृद्धि के लिए प्रदोषकाल में मृत्यु के देवता यम का स्मरण कर घर की देहरी पर दीपदान किया। रूप चतुर्दशी को असंख्य दीपमालाओं से सजे घरों के कंवळों से सूर्यनगरी रोशनी से सराबोर हो उठी। आनंद-उल्लास-आरोग्य, शांति व समृद्धि से जुड़े पंच महापर्व के दूसरे दिन मंगलवार को रोशन बाजारों में लोगों ने महालक्ष्मी पूजन के लिए मूर्तियां, श्रीयंत्र, पूजन चौकी, मांगलिक व ऋतुपुष्प आदि परम्परागत पूजा की सामग्री सहित आभूषण, ड्राइ फ्रूट, गृह साज सज्जा, मिष्ठान की जमकर खरीदारी की। पांच दिवसीय दीपोत्सव के चौथे दिन 8 नवम्बर गुरुवार को गोवद्र्धन पूजन व अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा। सूर्यनगरी के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में छप्पन भोग पूजन के साथ ही अन्नकूट महोत्सव शुरू हो जाएंगे। इसी दिन शहरवासी परम्परागत रामा-श्यामा परम्परा का निर्वहन करेंगे। पंच महापर्व के अंतिम दिन 9 नवम्बर शुक्रवार को भाईदूज पर्व मनाया जाएगा। भाई दूज के दिन विवाहित बहनें अपने भाइयों को घर आमंत्रित कर हाथों से भोजन खिलाने के बाद उनकी खुशहाली व सुख समृद्धि की कामना करेंगी। इसी के साथ पंच महापर्व का समापन होगा।
महालक्ष्मी पूजन का मुहूर्त
दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन प्रदोष, गोधूली, वृष लग्न व शुभ अमृत वेला में बुधवार 7 नवम्बर को शाम 5.49 बजे से 7.38 बजे तक एवं शुभ अमृत वेला में शाम 7.28 बजे से 10.44 बजे तक करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पं. ओमदत्त शंकर के अनुसार स्थिर वृष लग्न में शाम 6.20 बजे से 8.16 बजे तक एवं महानिशीथ पर्व पूजन का मुहूर्त रात्रि 11.56 से 2.48 तक रहेगा। ग्रह बली लग्न रात्रि 10.30 से 12.48 तक, स्थिर सिंह लग्न रात्रि 12.48 से 3.04 बजे तक तथा शेष रात्रि 3.39 से सुबह 5.16 बजे लाभ वेला में महालक्ष्मी पूजन शुभ माना गया है।
दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन प्रदोष, गोधूली, वृष लग्न व शुभ अमृत वेला में बुधवार 7 नवम्बर को शाम 5.49 बजे से 7.38 बजे तक एवं शुभ अमृत वेला में शाम 7.28 बजे से 10.44 बजे तक करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पं. ओमदत्त शंकर के अनुसार स्थिर वृष लग्न में शाम 6.20 बजे से 8.16 बजे तक एवं महानिशीथ पर्व पूजन का मुहूर्त रात्रि 11.56 से 2.48 तक रहेगा। ग्रह बली लग्न रात्रि 10.30 से 12.48 तक, स्थिर सिंह लग्न रात्रि 12.48 से 3.04 बजे तक तथा शेष रात्रि 3.39 से सुबह 5.16 बजे लाभ वेला में महालक्ष्मी पूजन शुभ माना गया है।