राजस्थान के अलावा कई विद्युत कंपनियों में फील्ड में लगे विद्युत उपकरणों का बीमा करवा कर उनको सुरक्षित किया जाता है। डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक खुद स्वीकार करते हैं कि बिजली जीएसएस या अन्य उपकरणों का बीमा होना चाहिए। लेकिन हकीकत में एेसा है नहीं। डिस्कॉम के तकनीकी अधिकारी बताते हैं कि शुरू से ही एेसा प्रावधान नहीं रहा। डिस्कॉम इसकी जरूरत ही महसूस नहीं करता। जबकि प्रतिमाह लाखों रुपए के बिजली उपकरण खराब या चोरी हो जाते हैं।
167 करोड़ का बीमा जोधपुर डिस्कॉम की ओर हालही में सेंट्रल स्टोर का 167 करोड़ का बीमा करवाया गया है। यहां 10 जिलों को सप्लाई होने वाले बिजली उपकरण रखे जाते हैं। उपकरणों को यदि किसी प्रकार का नुकसान होता है तो इसके लिए बीमा कंपनी ही जिम्मेदार होती है। निर्माता कंपनी के भरोसे फील्ड फील्ड उपकरण जैसे ट्रांसफार्मर, बिजली पोल, तार जब तक अपने तय स्थल पर नहीं लगते तब तक उपकरण बनाने वाली ट्रांजिट बीमा उपलब्ध करवाती है। उपकरण स्थापित होने के बाद तीन से पांच साल की गारंटी होती। इसके बाद यदि कोई उपकरण खराब हुआ तो उसके लिए कोई बीमा व्यवस्था नहीं है। एेसे में भार सीधे डिस्कॉम राजस्व कोष पर ही पड़ेगा। चोरी हुआ तो सब गुल फील्ड में लगे उपकरण यदि चोरी हो जाते हैं उसकी भरपाई करने के लिए कोई सिस्टम नहीं है। यह भार सीधे-सीधे डिस्कॉम पर है और जनता द्वारा भरे गए बिल के जरिये ही भुगतान किया जाता है।
यह उपकरण जो सर्वाधिक नुकसान पहुंचाते हैं – बिजली के कॉपर के तार अधिकांश चोरी होते हैं। – कई स्थानों पर तो चालू बिजली सप्लाई में ही चोर बिजली लाइन चोरी कर ले जाते हैं।
– ट्रांसफार्मर और उसमें डाले जाने वाला ऑयल सर्वाधिक चोरी होता है। – बिजली के पोल भी काफी चोरी होते हैं। इनका कहना… स्टोर बीमा तो अभी नवीनीकरण किया गया है। फील्ड उपकरण का बीमा होना चाहिए, इस बारे में भी अपडेट ले लेते हैं।
– एस.एस यादव, प्रबंध निदेशक, जोधपुर डिस्कॉम।