जोधपुर

रूस में तीन साल पूर्व कुरजां पर लगाया गया था सोलर टैग

पत्रिका न्यूज़ नेटवर्कफलोदी. प्रतिवर्ष शीतकालीन प्रवास पर आने वाले मेहमान पक्षी में सोलर सिस्टम ट्रांसमीटर लगे कुरजां के मिलने के बाद पक्षी विशेषज्ञों ने शोधकर्ताओं व संस्थाओं से सम्पर्क साधा तो इस कुरजां को टैग करने संबंधित पूर्ण जानकारी मिली है। इस कुरजां के २०१६ में रसिया में वैज्ञानिकों द्वारा शोध के लिए सोलर सैटेलाइट टैगिंग की गई थी। वहीं दूसरी तरफ खीचन हजारों की तादाद में कुरजां की अठखेलियां से पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। अब फरवरी माह के बाद मौसम तंत्र में गर्मी की दस्तक के साथ ही कुरजां वतन वापसी की उड़ान भरेगी।

जोधपुरFeb 07, 2019 / 11:54 am

Narayan soni

खीचन में मिली टैग की गई कुरजां की हुई पहचान, 1000 क्रैन प्रोजेक्ट में हुई है १ हजार पक्षियों की टैगिंग


रूस में लगाया गया था सोलर टैग-
आयूसीएन के विशेषज्ञ समूह सदस्य व सेठ जीबी पोदार कॉलेज, नवलगढ़ के प्राणिविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. दाऊलाल बोहरा ने बताया कि खीचन में सोलर सिस्टम ट्रांसमीटर व काले-हरे रंग की रिंग लगी कुरजां मिलने के मामले में शोधकर्ताओं से सम्पर्क किया गया था। जिसमें इस टैङ्क्षगग की पुख्ता जानकारी प्राप्त हो गई है। इस कुरजां को डॉ. गाऊ यूमिन तथा ऑलिग गोरोस्खो द्वारा २१ जनवरी २०१६ में रूस में टैग किया गया था। अगस्त २०१६ में इसका सैटेलाइट सिग्नल मिलना बंद हो गया था। २१ जून २०१६ को इस पक्षीा की लोकेशन गुजरात के नाल सरोवर की मिली थी।
1000 क्रैन प्रोजेक्ट में भी हुई टैंगिंग-
डॉ. बोहरा ने बताया कि ऐलिना इलियानिस्को, निदेशक क्रेन व क्रिग गुप यूरेशिया तथा ८ टीमों द्वारा २०१८ में ‘१००० क्रैन प्रोजेक्टÓ शुरू किया गया था। जिसमें अलग-अलग स्थानों से १७ जून से ३१ जुलाई २०१८ के बीच १ हजार कुरजां को टैग किया गया है। टैगिंग के लिए अधिकांशत: ४०-५० दिन के पक्षियों को चुना गया था। इसमें पक्षियों में सैटेलाइट ट्रांसमीटर लगाया गया है, जो सौर ऊर्जा से डाटा एकत्रित करता है।
पिछले कुछ सालों में कुरजां की संख्या-
वर्ष कुरजां की अधिकतम संख्या
2010 – 14000
2011- 14000
2012 – 15000

2013 – 20000
2014- 23000

2015 – 25000
2016 – 25000
2017- 17000
21018- 26000
कई देशों से यहां आते है डेमोसाइल क्रैन-
डेमोसाइल क्रैन या कुरजां शीतकालीन प्रवास के दौरान रूस, साइबेरिया, मंगोलिया, चीन आदि देशों से हिमालय से होते हुए हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां पंहुचते है। इस दौरान ये पक्षी करीब 20 हजार फीट की ऊंचाई से उड़ते है। पक्षी प्रेमी सेवाराम माली ने बताया कि इन दिनों खीचन में करीब २६ हजार कुरजां पक्षी शीतकालीन प्रवास पर पंहुच चुके है। (निसं)
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