मृत पक्षी दिखाई देने पर कंट्रोल रूम दे सूचना
वनविभाग जोधपुर की टीम मृत कौओं को लेकर रविवार को भोपाल की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज लैब (एनआइएचएसएडी) प्रयोगशाला पहुंची। जहां से मंगलवार को कौओं की मौत के कारणों की रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है। वनविभाग के सहायक वन संरक्षक केके व्यास ने बताया कि माचिया में बर्ड सेक्शन दर्शकों के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है। उन्होंने जोधपुर जिले में कहीं भी मृत पक्षी दिखाई देने पर कंट्रोल रूम में ०२९१-२६१६४२२ पर सूचना देने को कहा है ताकि पक्षियों की सुरक्षा हो सके और भविष्य में होने वाली किसी भी महामारी से रोकथाम की जा सके। पक्षियों की मौतों की सूचना के बाद बर्ड फ्लू की आशंका को देखते हुए जोधपुर संभाग के सभी वन मण्डल में रेंजर्स, फील्डकर्मियों को अलर्ट जारी कर दिया है।
वनविभाग जोधपुर की टीम मृत कौओं को लेकर रविवार को भोपाल की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज लैब (एनआइएचएसएडी) प्रयोगशाला पहुंची। जहां से मंगलवार को कौओं की मौत के कारणों की रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है। वनविभाग के सहायक वन संरक्षक केके व्यास ने बताया कि माचिया में बर्ड सेक्शन दर्शकों के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है। उन्होंने जोधपुर जिले में कहीं भी मृत पक्षी दिखाई देने पर कंट्रोल रूम में ०२९१-२६१६४२२ पर सूचना देने को कहा है ताकि पक्षियों की सुरक्षा हो सके और भविष्य में होने वाली किसी भी महामारी से रोकथाम की जा सके। पक्षियों की मौतों की सूचना के बाद बर्ड फ्लू की आशंका को देखते हुए जोधपुर संभाग के सभी वन मण्डल में रेंजर्स, फील्डकर्मियों को अलर्ट जारी कर दिया है।
वनविभाग ने जारी किया पूरे प्रदेश में अलर्ट
झालावाड में मिले मृत पक्षियों में एच-5 एवियन इनफ्लुएंजा वायरस पाया गया है। यह एक गम्भीर संक्रामक रोग है एवं इसको फैलने से रोकना ही सबसे बड़ा निदान है। इसके लिए समय रहते पक्षियों में इस रोग की पहचान कर सतर्कता बरतना अति आवश्यक है। वन्यजीव अभ्यारणों, नेशनल पार्क, बाघ परियोजना, कंर्जवेशन रिजर्व, वन क्षेत्रों एवं उनके बाहर ऐसे स्थान जहां पक्षी वास करते हैं या शीतकाल प्रवास पर आते हैं उन स्थानों पर विशेष सतर्कता बरतते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए है।
एमएल मीना, प्रधान मुख्य वन सरंक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान
झालावाड में मिले मृत पक्षियों में एच-5 एवियन इनफ्लुएंजा वायरस पाया गया है। यह एक गम्भीर संक्रामक रोग है एवं इसको फैलने से रोकना ही सबसे बड़ा निदान है। इसके लिए समय रहते पक्षियों में इस रोग की पहचान कर सतर्कता बरतना अति आवश्यक है। वन्यजीव अभ्यारणों, नेशनल पार्क, बाघ परियोजना, कंर्जवेशन रिजर्व, वन क्षेत्रों एवं उनके बाहर ऐसे स्थान जहां पक्षी वास करते हैं या शीतकाल प्रवास पर आते हैं उन स्थानों पर विशेष सतर्कता बरतते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए है।
एमएल मीना, प्रधान मुख्य वन सरंक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान