जोधपुर

Good News: चुनावों से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जनता को देंगे 75 करोड़ रुपए का तोहफा, जानिए पूरा मामला

पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के नाम पर 75 करोड़ में तैयार हुआ देश का दूसरा व प्रदेश के पहला एच आकार का रेल ओवरब्रिज

जोधपुरSep 11, 2023 / 10:35 am

Rakesh Mishra

जोधपुर। पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के नाम पर 75 करोड़ में तैयार हुआ देश का दूसरा व प्रदेश के पहला एच आकार का रेल ओवरब्रिज। जोधपुर की आरटीओ फाटक पर तैयार हुए इस ब्रिज का कार्य पांच साल पहले शुरू हुआ। अब जल्द ही जोधपुर की जनता को इस ओर से गुजरने वाले भारी ट्रैफिक दबाव से मुक्ति मिलेगी। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस एच आकार के रेल ओवरब्रिज का उद्घाटन इसी माह करेंगे।
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ये रहेगा ब्रिज पर यातायात का सिस्टम
– आरटीओ से आने वाले वाहन सर्विस लेन से 80 फीट की फ्लाई रोड पर चढक़र रेलवे क्रॉङ्क्षसग को पार करेंगे। वहां सर्किल से जयपुर या कालवी प्याऊ की ओर जाएंगे।
– जयपुर की ओर से आने वाले वाहन आरओबी के ऊपर बने रोटरी से राइट टर्न करके रेलवे ट्रैक को पार करते हुए लेफ्ट टर्न करके 80 फीट रोड से आरटीओ की ओर जाएंगे।
– जोधपुर से आने वाला ट्रैफिक लेफ्ट टर्न करके रेलवे ट्रैक को क्रॉस करते हुए 80 फीट रोड से आरटीओ की ओर जाएगा। जोधपुर से सीधे जयपुर हाइवे को जोड़ेगा।
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1370 मीटर लंबा 37 पियर (पिलर ) पर होगा खड़ा
जोधपुर जयपुर राजमार्ग पर स्थित आरटीओ रेलवे फाटक पर 82.32 करोड़ की लागत से 1370 मीटर लंबा है। इसके कुल 37 पियर (पिलर ) बने है। कुल 37 पियर में से 20 पियर हाइवे और 4 पियर रेलवे की जमीन पर बनने थे। यह ओवरब्रिज फाटक संख्या सी-168 पर बन रहा है, जिसके एक तरफ बीजेएस सहित कई बड़ी आवासीय कॉलोनी है। लेकिन, यह फाटक जोधपुर से बीकानेर-जयपुर-दिल्ली लाइन पर होने और रेल आवागमन के कारण दिन में करीब 15 बार से अधिक बंद रहती है और वाहनों की कतारें लगती हैं, जिससे अब जनता को निजात मिलेगी।
सितंबर 2021 में फिर शुरू हुआ कार्य
सितंबर 2021 में जेडीए ने आर्मी अफसरों के साथ जमीन के टाइटल इश्यू पर ऐग्रीमैंट किया। ऐग्रीमैंट के बाद जेडीए ने निर्माण कार्य फिर से शुरू किया गया। अब जेडीए ने इस ब्रिज का कार्य पूरा कर लिया है।
ब्रिज निर्माण के साथ ही वर्ष 2018 में आर्मी ने हाइवे की जमीन पर मालिकाना हक जताते हुए ब्रिज का काम रुकवा दिया था। । तब आर्मी का कहना था कि कोई भी सरकारी एजेंसी आर्मी की इजाजत के बिना कार्य नहीं कर सकती। इस आपत्ति के कारण करीब तीन साल तक काम बंद रहा।

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