देवस्थान विभाग प्रबंधित एवं नियंत्रित आत्मनिर्भर श्रेणी के मंदिर में हाल ही सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से ५२ लाख रुपए खर्च कर जीर्णोद्धार करवाया गया था। जीर्णोद्धार के बाद पहली बारिश में ही मंदिर के गर्भगृह में पानी टपकने की शिकायत के बावजूद ठेकेदार ने नजर अंदाज किया। लाखों खर्च के बाद भी मंदिर की छत टपकने से गर्भगृह में प्राकृतिक रंगों से तैयार नाथद्वारा चित्रशैली के कलात्मक भित्तिचित्र नष्ट होने के कगार पर हैं। उल्लेखनीय है सन १७९० में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा विजयसिंह की पासवान (उप पत्नी) गुलाब राय की ओर से निर्मित मंदिर में मुख्य स्वरूप श्रीनाथजी का है। मंदिर जोधपुर के प्रमुख कृष्ण मंदिरों में एक है।
विभाग के पास नहीं तकनीकी स्टाफ देवस्थान विभाग प्रबंधित मंदिर में विभाग के पास तकनीकी स्टाफ नहीं होने के कारण मंदिर में जीर्णोद्धार एवं निर्माण एजेन्सी राज्य सरकार ने तय की है। करीब तीन साल पहले वर्ष २०१४ में मंदिर की मरम्मत के लिए ५२ लाख के बजट को मंजूरी मिल थी। लेकिन एजेन्सी तय करने में विलंब के कारण जीर्णोद्धार कार्य २०१६ में सार्वजनिक निर्माण विभाग को सौंपा गया। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने आनन फानन में ५२ लाख खर्च कर दिए। जबकि मंदिर में मूल कार्य नष्ट हो रहे भित्ति चित्र में सुधार, मंदिर गर्भगृह में छत टपकने, जर्जर छज्जे की मरम्मत, मंदिर में इलेक्ट्रिक अर्थ की समस्या जस की तस है। नियमित दर्शनार्थियों ने बताया कि जीर्णोद्धार के बाद पहले मानसून में मंदिर के बाहर की छतरियों पर की गई लीपापोती धुल जाने से निर्माण एजेन्सी सार्वजनिक निर्माण विभाग की हकीकत सामने आ गई है। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से बचते रहे।
मैं अभी अवकाश पर हूं। कुंज बिहारी मंदिर में जीर्णोद्धार कार्य के दौरान बरती गई लापरवाही को लेकर सार्वजनिक निर्माण विभाग में राजकीय नियमानुसार शिकायत दर्ज कराई जाएगी। -ओमप्रकाश पालीवाल, सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग, जोधपुर/p>