भारतीय कृषि अनुसंधान संगठन से सम्बद्ध काजरी ने हाल ही में मस बोडूगा को ऐसी जगह रिपोर्ट किया है जहां सामान्यत: सर्दी के चूहे मसलन वोल मिलता है। अब तक मस बोडूगा उत्तराखण्ड के हिथरो क्षेत्र में 3696 मीटर पर मिला था जो सर्वाधिक ऊंचाई थी। मस बोडूगा मैदानी छोटा चूहा है जो इतनी ऊंचाई पर पहुंच गया। यह अल्पाइन रेखा है। इससे ऊपर वनस्पति नहीं होती है।
लद्दाख में फसलों को खतरा लद्दाख में हिमालयन मरमट, तुर्किस्तानी रेट और वोल जैसे चूहे हैं जो आकार में बड़े भी हैं और फसलों को अधिक नुकसान नहीं पहुंचाते। मस बोडूगा के वहां पहुंचने से फसलों को खतरा हो गया है। काजरी के लेह स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने किसानों को सावचेती बरतने के निर्देश दिए हैं। लद्दाख में छह महीने खेती होती है और वहां की 70 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है। वहां गेहूं, जौ, अल्फा घास, सेब, अखरोट और कई तरह की सब्जियां होती हैं। मस बोडूगा धान की फसलों को नुकसान पहुंचाने के साथ फल-सब्जियां भी खा जाता है। इसका आकार छोटा होने की वजह से इसे बिल बनाने की जरूरत नहीं रहती। यह दरारों में घुसकर ही अपना काम चला लेता है।
इनका कहना है
मस बोडूगा इतनी ऊंचाई पर कैसे पहुंचा, हमें भी नहीं पता। इस पर अध्ययन किया जा रहा है। यह फसलों के लिए बहुत अधिक हानिकारक है। – डॉ विपिन चौधरी, वैज्ञानिक, केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) जोधपुर
मस बोडूगा इतनी ऊंचाई पर कैसे पहुंचा, हमें भी नहीं पता। इस पर अध्ययन किया जा रहा है। यह फसलों के लिए बहुत अधिक हानिकारक है। – डॉ विपिन चौधरी, वैज्ञानिक, केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) जोधपुर