जानिए क्या होता है बायो रेसोर्बेबल स्टेंट
यह स्टंट इंप्लाट होने के दो से तीन साल बाद आर्टरी में घुल जाता है। हार्ट की कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज़ होने पर सामान्यतया एंजियोप्लास्टी या बायपास सर्जरी से इसे ठीक किया जाता है। बिना सर्जरी के एंजियोपलास्टी से स्टेंट लगाना काफ ी कारगर उपचार है लेकिन कई मामलों में मैटलिक स्टेंट फि र से बंद हो जाता है या मरीज को स्टेंट से जुडी अन्य समस्या हो सकती है। लेकिन अब नवीनतम तकनीक से लगाए गए मैटलिक स्टेंट कुछ समय बाद शरीर में ही घुल जाते हैं और आर्टरी सामान्य रूप से कार्य करने लगती है। पुरानी तकनीक से लगाए गए मैटलिक फ्रे म से बने स्टेंट हमेशा आर्टरी में रहते हैं लेकिन बायो डिग्रेडेबल स्टेंट ऐसी तकनीक है जिसमें मैटलिक फ्रे म का प्रयोग नहीं किया जाता है। यह स्टंट पोलिमर से बना होता है जो शरीर में इंप्लाट होने के दो से तीन साल बाद अपने आप घुल जाता है। स्टंट घुलने के बाद आर्टरी प्राकृतिक अवस्था में आ जाती है। कम आयु के मरीज़ों के लिए बायो डिग्रेडेबल स्टंट से एंजियोप्लास्टी और भी अधिक उपयोगी है।
यह स्टंट इंप्लाट होने के दो से तीन साल बाद आर्टरी में घुल जाता है। हार्ट की कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज़ होने पर सामान्यतया एंजियोप्लास्टी या बायपास सर्जरी से इसे ठीक किया जाता है। बिना सर्जरी के एंजियोपलास्टी से स्टेंट लगाना काफ ी कारगर उपचार है लेकिन कई मामलों में मैटलिक स्टेंट फि र से बंद हो जाता है या मरीज को स्टेंट से जुडी अन्य समस्या हो सकती है। लेकिन अब नवीनतम तकनीक से लगाए गए मैटलिक स्टेंट कुछ समय बाद शरीर में ही घुल जाते हैं और आर्टरी सामान्य रूप से कार्य करने लगती है। पुरानी तकनीक से लगाए गए मैटलिक फ्रे म से बने स्टेंट हमेशा आर्टरी में रहते हैं लेकिन बायो डिग्रेडेबल स्टेंट ऐसी तकनीक है जिसमें मैटलिक फ्रे म का प्रयोग नहीं किया जाता है। यह स्टंट पोलिमर से बना होता है जो शरीर में इंप्लाट होने के दो से तीन साल बाद अपने आप घुल जाता है। स्टंट घुलने के बाद आर्टरी प्राकृतिक अवस्था में आ जाती है। कम आयु के मरीज़ों के लिए बायो डिग्रेडेबल स्टंट से एंजियोप्लास्टी और भी अधिक उपयोगी है।