भूत ऋषि को हुए थे प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन पारम्परिक रूप से यह मान्यता रही है कि इस क्षेत्र में भूत ऋषि, जो शंकरानी बोहरा थे, को पहाड़ों में विचरण करते समय प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन हुए थे। यह क्षेत्र सूअरों का विचरण क्षेत्र था। जहां पास ही सूरा नाडी बनी हुई है। भूत ऋषि ने शिवलिंग का जलाभिषेक प्रारम्भ किया और इसे अपनी प्रतिदिन की चर्या में सम्मिलित कर लिया। धीरे-धीरे इसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी और भक्तजन निरंतर अधिकाधिक संख्या में यहाँ पहुंचने लगे। वर्तमान में महाशिवरात्रि, पाटोत्सव सहित अन्य अवसरों पर आयोजन होते रहते है। जिसमें बड़ी संख्या में पुष्करणा समाज सहित अन्य श्रद्धालु भाग लेते है।
वर्तमान में मंदिर परिसर में दक्षिणामुखी महामृत्युंजय मूर्ति स्थापित है। मुख्य मंदिर गर्भगृह के अतिरिक्त दांयी ओर दो कक्ष में शिव पार्वती, गणेश, नंदी, सरस्वती, राधाकृष्ण, उष्ट्रवाहिनी, हनुमान आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। वहीं, मुख्य मंदिर के पास ही अगस्तय ऋषि व कुबेर की प्रतिमा भी स्थापित हैं।
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इन मंदिरों में भी चल रही तैयारियां
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